न्यूज डेस्क
लोकसभा चुनाव के पांच चरणों के मतदान होने के बाद कई दिग्गजों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गयी है। वहीं कइ नेताओं का भविष्य अगले दो चरणों में मतदाता तय करेंगे।
हालांकि, इन सब के बीच कई बड़े नेता चुनाव से दूरी बनाये हुए हैं। इनमें लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन समेत मोदी मंत्री मंडल के कई सदस्य शामिल हैं।
बता दें कि 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सरकार बनने के बाद मंत्री बनाये गये सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, प्रकाश जावेडकर, उमा भारती इस बार के लोकसभा चुनाव से दूरी बनाये हुए है। साथ ही उम्र के 75वें पड़ाव पार कर चुकी सुमित्रा इस बार चुनाव नही लड़ रही हैं।
सुषमा स्वराज
दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री भी बनीं सुषमा स्वराज 1977 में पहली बार हरियाणा विधानसभा के लिए चुनीं गईं। वे तीन बार विधायक और चार बार लोकसभा सदस्य बनीं। इस दौरान वे राज्य और केन्द्र सरकार में मंत्री भी रहीं।
चर्चा में रहीं
सुषमा हरियाणा सरकार में 25 साल की उम्र में मंत्री बनीं। किसी भी राज्य में सबसे युवा मंत्री बनने का रिकॉर्ड उन्हीं के नाम है। सुषमा 6 राज्यों हरियाणा, दिल्ली, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड और मध्यप्रदेश की चुनावी राजनीति में सक्रिय रही हैं।
चुनाव न लड़ने की वजह
सुषमा ने कहा था कि डॉक्टरों ने उन्हें इन्फेक्शन के चलते धूल से दूर रहने की हिदायत दी है। इसलिए वे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकतीं, लेकिन वे राजनीति में बनी रहेंगी।
उमा भारती
खजुराहो सीट से उमा भारती 1989 में पहली बार लोकसभा सदस्य चुनी गईं। वे अटल और मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहीं। मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री भी रहीं। 2014 में झांसी से लोकसभा सदस्य बनीं।
चर्चा में क्यों
मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री रहने के दौरान एक मामले में गिरफ्तारी वॉरंट निकलने पर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। बाद में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से विवाद के बाद उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया। जून 2011 में उनकी पार्टी में वापसी हुई। वे केंद्रीय मंत्री हैं।
चुनाव न लड़ने की वजह
उमा भारती ने चुनाव न लड़ने का कारन बताया था कि वे अब सिर्फ भगवान राम और गंगा के लिए काम करेंगी। लेकिन साथ ही पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करती रहेंगी।
सुमित्रा महाजन
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन इंदौर संसदीय सीट से लगातार आठ बार से निर्वाचित होती आ रही हैं। उन्होंने पहली बार 1989 में जीत दर्ज की थी और उसके बाद से यह सीट भाजपा का गढ़ है।
चर्चा में क्यों
मीरा कुमार के बाद सुमित्रा महाजन दूसरी महिला लोकसभा स्पीकर हैं। सुमित्रा महाजन एमपी की राजनीति में ‘ताई’ के नाम से मशहूर हैं। अपने दम पर उन्होंने राह बनाई और आज एक बड़ा मुकाम हासिल करने जा रही हैं। ताई देश की ऐसी पहली महिला सांसद हैं, जो एक ही स्थान से लगातार आठ बार चुनाव जीतीं।
चुनाव न लड़ने की वजह
इस बार उन्हें टिकट के लिए जबरदस्त संघर्ष करना पड़ रहा था और जिसमें वह अंतत: नाकाम रहीं। क्योंकि पार्टी ने 75 वर्ष से अधिक की उम्र वाले नेताओं को टिकट न देने का फ़ैसला किया है।
अरुण जेटली
1999 में, भाजपा की वाजपेयी सरकार के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सत्ता में आने के बाद, उन्हें 13 अक्टूबर 1999 को सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नियुक्त किया गया। उन्हें विनिवेश राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भी नियुक्त किया गया।
इसके बाद 2014 के आम चुनाव में वह अमृतसर लोकसभा सीट के लिए भाजपा के उम्मीदवार थे। लेकिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार अमरिंदर सिंह ने उन्हें हर दिया। हर के बावजूद भी मोदी सरकार में उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया। वह गुजरात से राज्यसभा सदस्य थे। उन्हें मार्च 2018 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए फिर से चुना गया।
हालाँकि, 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अरुण जेटली को उम्मीदवार नहीं बनाया है।