रेशमा खान
महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा गठबंधन में पेंच फ़साने के बाद अब बिहार में भी भाजपा के साझीदार नीतीश कुमार अपने तेवर दिखने लगे हैं ।
बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार की पार्टी जदयू नें फैसला किया है कि पड़ोसी राज्य झारखण्ड में वो अकेले ही सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। हालांकि, कुछ जदयू के नेताओं के अनुसार बिहार के बाहर अपने दम पर चुनाव लडनें का फैसला इसलिए लिया गया ताकी पार्टी का वोट शेयर बढ़ाने के साथ साथ राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी दिलाया जा सके।
मगर बिहार में सहयोगी बीजेपी को जदयू की ये दलील कुछ पसंद नही आई और पार्टी का एक गुट नितीश कुमार को किनारे करके बिहार में अपने दम पर 2020 में होने वाले विधानसभा चुनाव लडनें की मांग करनें लगा। हाल ही में बीजेपी के वरिष्ठ नेता संजय पासवान नें बिहार के राजनीतिक गलियारों में ये कहकर हलचल मचा दी की ‘नितीश कुमार को अब केन्द्र की राजनीति करनी चाहिए और बिहार का कमान बीजेपी को सौंप देना चाहिए’।
उनका ये बयान उस वक्त आया जब बिहार में हिंदुत्व का चेहरा बनकर उभर चुके गिरीराज सिंह को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर घोषित करने की मांग उनके समर्थक करने लगे। सुत्र बताते हैं कि केंद्रीय मंत्री और बिजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय भी इस मुद्दे पर संजय पासवान के साथ हैं।
पिछले हफ्ते संजय पासवान बयान देने के बाद दिल्ली पहुंच गए और गिरिराज सिंह के साथ बैठक भी की। हालांकि पूछने पर उन्होने बताया की ‘मुलाकात व्यक्तिगत थी लेकिन राज्य की राजनीति पर भी चर्चा हुई’।
संजय पासवान ने सुशील कुमार मोदी के उस ट्वीट पर भी बात नहीं की, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ‘बिहार में एनडीए का कप्तान’ घोषित किया था और कहा था कि ‘वह 2020 के विधानसभा चुनाव में भी कप्तान बने रहेंगे। जब कप्तान चौवा और छक्का मार रहा हो और प्रतिद्वंद्वियों को लगातार हरा रहा हो तो बदलाव का सवाल कहां उठता है’?
सुशील कुमार मोदी के समर्थन को बीजेपी ने बताया ‘निजी राय’
सुशील कुमार मोदी का नीतीश कुमार के समर्थन में उतरना बीजेपी के कई बडे नेताओं को पसंद नही आया औऱ उन्होने उनके बयान को ‘निजी राय’ करार दे दिया। राजनीतिक विषलेशकों का मानना है कि झारखंड विधानसभा चुनाव लड़ने के फैसले के अलावा कई सारे मुद्दे जिसमें जदयू द्वारा की सारे मुद्दे हैं जिसपर उसकी राय बीजेपी से बिल्कुल विपरीत रही है जिसकी वजह से दोनों के रिशतों में दरार आई है।
गंभीर मुद्दों पर अलग है जदयू की राय
जदयू नें हमेशा एनआरसी, अनुच्छेद 370, ट्रिपल तालक, अयोध्या और यूनिफॉर्म सिविल कोड जैसे संवेदनशील मुद्दों पर अपने आपको बीजेपी से अलग रखा है। हालांकि बीजेपी के कुछ नेताओं का मानना है की ‘जदयू से बिहार में विकास के मुद्दे पर गठबंधन हैं और आने वाला विधानसभा चुनाव भी वो साथ ही लडेंगे’।