न्यूज डेस्क
भ्रष्टाचार का इससे बड़ा कोई उदाहरण नहीं हो सकता। झारखंड में करीब 42 साल पहले नहर बनाने की योजना बनी। बजट 12 करोड़ निर्धारित किया गया। नहर बनकर तैयार होने में 42 साल लग गए और बजट 2176 करोड़ पहुंच गया। फिलहाल नहर का 28 अगस्त को झारखंड के मुख्यमंत्री ने इसका उद्घाटन किया। पर विडंबना देखिए, उद्घाटन के 24 घंटे बाद ही नहर ढ़ह गया।
देश में भ्रष्टाचार की जड़े इतनी गहरी हो चुकी हैं कि उसे उखाड़ फेंकना आसान नहीं है। सरकार कितने भी दावे कर ले भ्रष्टाचारखत्म करने के लिए यह संभव नहीं है। उत्तर प्रदेश हो या बिहार, झारखंड हो या राजस्थान, हर जगह भ्रष्टाचार व्याप्त है।
झारखंड में नहर के ढह जाने पर सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास ने इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं, फिर भी विपक्षी दलों के निशाने पर सरकार और प्रशासन है।
झारखंड कांग्रेस नेताओं का कहना है कि ‘बीजेपी सरकार दूसरे के कार्यों के लिए श्रेय लेती है या कोनार जैसे आधे-अधूरे प्रॉजेक्ट्स का उद्घाटन कर देती है।’ वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है, ‘सरकार ने 42 साल से बंद पड़े प्रॉजेक्ट को शुरू करके अपनी पीठ थपथपाई।’ उन्होंने दावा किया कि प्रॉजेक्ट की कीमत 2200 करोड़ रुपये है। प्रॉजेक्ट 22 घंटे से भी कम में बह गया।’
सिंचाई विभाग ने चूंहों पर डाली जिम्मेदारी
हजारीबाग के बिश्नुगढ़ में कोनार नदी सिंचाई परियोजना के तहत बनाई गई नहर के ढहने से पड़ोस के गिरिडीह जिले के बागोडर ब्लॉक के 35 गांवों के खेतों में पानी भर गया। इस घटना का जिम्मा राज्य का सिंचाई विभाग चूहों के बनाए छेदों पर लगा रहा है, जिन्हें अभी तक भरा नहीं गया था।
वहीं चश्मदीदों का कहना है कि नहर के उद्घाटन के 10 घंटे बाद रात 8 8:30 बजे से पानी बहना शुरु हो गया था। वहीं अतिरिक्त मुख्य सचिव (जल संसाधन) अरुण कुमार सिंह ने बताया है कि जांच पैनल की अध्यक्षता जल संसाधन विभाग के अडवांस प्लानिंग डिविजन के चीफ इंजिनियर करेंगे। उन्होंने कहा कि ‘प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक नहर के एक हिस्से में चूहों ने छेद कर दिया था, जिससे पानी लीक करने लगा और वह ढह गई।’
वर्ष 1955 से लंबित थी योजना
गौरतलब है कि कोनार प्रोजेक्ट कई साल से ठंडे बस्ते में पड़ा था जिसे 2014 में दास सरकार ने दोबारा शुरू किया। कोनार जलाशय 1955 में दामोदर घाटी निगम ने कोनार नदी पर शुरू किया था। इसमें 357 किमी की नहर और 17 किमी का टनल था। टनल का काम पूरा हो चुका था।
कइयों का दावा है कि नहर का काम सिर्फ 44 फीसदी पूरा हुआ था लेकिन उद्घाटन करने के लिए जल्दबाजी में उसे पूरा कर दिया गया। वहीं अधिकारियों का कहना है कि प्रोजेक्ट को 2021 में पूरा करने का लक्ष्य था। प्रोजेक्ट के पूरा होने पर हजारीबाग, गिरिडीह और बोकारो जिले के करीब 85 गावों के 62,955 हेक्टेयर क्षेत्र को फायदा होने का आंकलन किया गया है।
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