जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. इमरान खान ने पाकिस्तान की हुकूमत गंवा दी लेकिन सत्ता का संघर्ष अभी जारी है. इमरान खान ने सरकार गिराने के पीछे जो विदेशी साज़िश का इल्जाम लगाया था अब उसके सबूत के तौर पर इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इन्साफ धमकी भरे पत्रों के साथ सुप्रीम कोर्ट की सीढ़ियां चढ़ गई है.
इमरान खान का इल्जाम है कि संसद में उनके खिलाफ जो अविश्वास प्रस्ताव लाया गया उसके पीछे विदेशी साज़िश ही काम कर रही थी. नेशनल असेम्बली के कार्यवाहक स्पीकर द्वारा निर्देशित जो गोपनीय पत्र कैबिनेट सचिव के ज़रिये हासिल हुआ है उसे अब पाकिस्तान के चीफ जस्टिस को सौंप दिया गया है. नेशनल असेम्बली के पूर्व डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने इमरान खान सरकार के खिलाफ लाये गए अविश्वास प्रस्ताव को विदेशी साज़िश के इल्जाम की वजह से ही खारिज किया था. उन्होंने कहा है कि इस धमकी भरे पत्र की जांच के लिए अब कमीशन बना देना चाहिए, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए.
इस मामले में इमरान खान खुद भी न्यायिक आयोग बनाना चाहते थे लेकिन वह आयोग बनाते इससे पहले ही उनकी सरकार गिर गई. इमरान का इल्जाम है कि उन्हें हुकूमत से बेदखल करने के लिए विदेशी साज़िश का इस्तेमाल किया गया. हुकूमत छोड़ने से ठीक पहले राष्ट्र को दिए संबोधन में इमरान ने कहा था कि एक वरिष्ठ अमरीकी राजनयिक ने पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन की धमकी दी थी. इमरान ने बाकायदा नाम लेते हुए कहा कि उनकी सरकार गिराने में दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के ब्यूरो के सहायक सचिव डोनाल्ड लू ने सरकार गिराने की साज़िश रची थी.
इमरान ने बताया कि डोनाल्ड लू ने पाकिस्तान के राजदूत को बाकयदा चेतावनी दी थी. उनका धमकी भरा पत्र सात मार्च को भेजा गया और आठ मार्च को उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आ गया. उधर अमेरिका ने इमरान खान के आरोपों को सिरे से नकार दिया है.
यह भी पढ़ें : पाकिस्तान के नाम संबोधन में बोले इमरान खान- मैं किसी की कठपुतली नहीं बन सकता
यह भी पढ़ें : इमरान खान के साजिश के आरोप पर अमेरिका ने क्या कहा?
यह भी पढ़ें : इमरान खान के समर्थक लाहौर में सड़कों पर उतरे, समर्थन में नारे लगाए
यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : पुलकित मिश्रा न संत है न प्रधानमन्त्री का गुरू यह फ्राड है सिर्फ फ्राड