जुबिली न्यूज डेस्क
इलाहाबाद हाई कोर्ट सोमवार को मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़े केस में सर्वे के लिए एडवोकेट कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने की अर्जी पर अहम फैसला होने वाला है। कोर्ट के आदेश के तहत अब मथुरा के विवादित परिसर का कोर्ट कमिश्नर सर्वे करेंगे।कोर्ट कमिश्नर के स्वरूप, यानी उसमें कौन- कौन वकील होंगे, सर्वे कब से शुरू होगा, कितने दिनों में सर्वे की प्रक्रिया को पूरा कराया जाएगा, जैसे मुद्दों पर कोर्ट सोमवार को सुनवाई करने वाला है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट की सुनवाई पर हर किसी की नजर होगी। हाई कोर्ट सिविल पेटीशन की पोषणीयता को लेकर दर्ज कराई गई आपत्ति पर दाखिल अर्जी की भी सुनवाई करेगा। श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से दाखिल की याचिका पर सुनवाई होगी। जस्टिस मयंक कुमार जैन की एकल पीठ ने इस केस पर सुनवाई की। कोर्ट ने 16 नवंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
कोर्ट ने सुनवाई पर दिया निर्णय
कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति में दूसरे पक्ष को भी हिस्सा लेने को कहा गया है। मुस्लिम पक्ष की ओर से भी सुनवाई में अपनी बात रखी जा सकती है। ऐसे में सोमवार की एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति का मुद्दा गरमा सकता है। कोर्ट ने साफ किया है कि एडवोकेट कमिश्नर से सर्वे कराए जाने से केस की प्रकृति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट केस के मेरिट को प्रभावित नहीं करेगी। तीन वकीलों के पैनल की रिपोर्ट पर अगर मुस्लिम पक्ष खुद को पीड़ित समझता है तो वह आपत्ति दाखिल कर पाएंगे।
विष्णु जैन ने रखा था पक्ष
श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से वकील विष्णु शंकर जैन ने बहस में भाग लिया था। उनका दावा है कि भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मस्जिद के नीचे स्थित है। इस बात के कई संकेत हैं जो साबित करते हैं कि मस्जिद एक हिंदू मंदिर है। शाही ईदगाह मस्जिद में कमल के आकार का एक स्तंभ होने का दावा भी वकील ने किया। उनका कहना है कि यह हिंदू मंदिरों की एक विशेषता है। वहां शेषनाग की एक प्रतिकृति भी है, जो हिंदू देवताओं में से एक हैं।
याचिका में यह भी बताया गया कि मस्जिद के स्तंभ के आधार पर हिंदू धार्मिक प्रतीक हैं और नक्काशी में ये साफ दिखते हैं। सर्वे से सच सामने आएगा। हाई कोर्ट के एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति की अर्जी मंजूर किए जाने के बाद अब श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मुद्दा गरमाएगा। सर्वे से आने वाले तथ्य इस मुद्दे को एक बार फिर गरमाएंगे।