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सुस्ती का असर, छह साल में निचले स्तर पर विकास दर

न्यूज डेस्क

पिछले एक माह से आर्थिक मंदी की बात की जा रही है। अर्थशास्त्री लगातार आगाह कर रहे थे कि देश की अर्थव्यवस्था गिर रही है। फिलहाल चालू वित्त वर्ष की पहली (अप्रैल-जून) में देश की आर्थिक विकास दर घटकर महज 5 फीसदी रह गई है। यह साढ़े छह वर्षों का सबसे निचला स्तर है। पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में आर्थिक विकास दर 5.8 फीसदी रही थी।

सेवा, विनिर्माण, कृषि और निर्माण सहित कई क्षेत्रों में सुस्ती की वजह से देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटी है। महत्वपूर्ण यह है कि पिछली दो राष्ट्रीय शृंखलाओं के मद्दनेजर समायोजन के बगैर (नॉमिनल) आर्थिक विकास दर आठ फीसदी रही जो 2002-03 की तीसरी तिमाही के बाद सबसे कम है। केंद्रीय बजट में नॉमिनल जीडीपी के 11 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था।

नॉमिनल जीडीपी वृद्धि से आय में बढ़ोतरी का पता चलता है और मौजूदा मंदी इसमें तेज गिरावट का संकेत देती है। इससे केंद्र और राज्य सरकारों की राजकोषीय स्थिति भी डगमगा सकती है क्योंकि नॉमिनल जीडीपी वृद्घि के कमजोर रहने से कर संग्रह पर भी बुरा असर पड़ता है।

अर्थव्यवस्था में सुस्ती के लिए देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘विकसित अर्थव्यवस्थाओं में मंदी और चीन तथा अमेरिका के बीच व्यापार संघर्ष के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। इससे पहले 2012-13 की चौथी तिमाही और 2013-14 की चौथी तिमाही में भी इसी तरह की स्थिति देखने को मिली थी जब अर्थव्यवस्था की विकास दर करीब पांच फीसदी रही थी।’

वहीं पीएम मोदी की अर्थशास्त्रियों की समिति के अध्यक्ष विवेक देवरॉय ने ऐसी उम्मीद जताई कि मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक विकास दर 6.5 फीसदी रहेगी। दुनिया के कई देश सकारात्मक विकास दर के लिए संघर्ष कर रहे हैं, इसलिए इसे कमतर नहीं माना जा सकता है। 2019 में वैश्विक अर्थव्यवस्था की विकास दर 3.2 फीसदी रहने का अनुमान है।

मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में निजी खर्च की वृद्धि  3.1 फीसदी रही जो 2012 में नई राष्ट्रीय शृंखला के शुरू होने के बाद सबसे कम है। इस दौरान निवेश की वृद्धि दर चार फीसदी रही जो निवेशकों और बड़े कारोबारी घरानों के बीच कमजोर धारणा को दिखाता है, लेकिन सरकारी व्यय की रफ्तार अर्थव्यवस्था से तेज रही।

अर्थव्यवस्था की बदहाली पर विशेषज्ञों ने चिंता जताई है। इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत ने कहा, ‘ढांचागत और चक्रीय मुद्दों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है। कृषि के बाद निर्माण/रियल एस्टेट क्षेत्र सबसे बड़ा नियोक्ता है और निवेश तथा खपत बढ़ाने में इसकी अहम भूमिका है।’

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