न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा है कि देश की आर्थिक वृद्धि दर उम्मीद से बहुत कमजोर है। ये कॉरपोरेट और पर्यावरणीय नियमों की अनिश्चितता और कुछ एनबीएफसी की आर्थिक कमजोरियों के चलते विकास दर गिरी है।
दरअसल सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7 साल के सबसे निचले स्तर पर है। अप्रैल- जून तिमाही में ये दर सिर्फ पांच फीसदी थी, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह दर आठ फीसदी थी।
आईएमएफ के प्रवक्ता गेरी राइस ने गुरुवार को कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि भले कमजोर हुई हो फिर भी चीन से बहुत आगे और दुनिया की सबसे तेजी से विकसित होनी वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
राइस ने कहा कि हम नए आंकड़े पेश करेंगे। लेकिन सच यह है कि कॉरपोरेट एवं पर्यावरणीय नियामक की अनिश्चितता एवं कुछ गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की कमजोरियों की वजह से भारत में हालिया आर्थिक वृद्धि दर उम्मीद से बहुत कमजोर है।
Gerry Rice, IMF Spox: Latest GDP figures reflect slow growth rate for India.What’s IMF’s assessment?We’ll have fresh numbers coming up but recent economic growth in India is much weaker than expected,mainly due to corporate&environmental regulatory uncertainty… (1/2) (file pic) pic.twitter.com/eHY0URhyn4
— ANI (@ANI) September 13, 2019
गेरी राईस ने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वार ने वैश्चिक अर्थव्यवस्था को झटका दिया है। इसकी वजह से ग्लोबल जीडीपी ग्रोथ भी अगले साल 0.8 फीसदी कम होने की आशंका है। दरअसल पिछले एक दशक के वित्तीय संकट के दौरान दुनिया भर में विनिर्माण स्तर पर पहले से ही मंदी का दौर जारी है।