न्यूज डेस्क
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक कथित बयान पर आपत्ति जताई है। साथ ही उनसे कहा है कि या तो वह अपने आरोप से इनकार करें, या साबित करें या माफी मांगें।
बता दें कि इस महीने की शुरुआत में शीर्ष फार्मा कंपनियों के साथ बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने कथित तौर पर एथिकल मार्केटिंग प्रैक्टिस का जिक्र किया था।
आईएमए ने विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि प्रधानमंत्री ने एक बयान में कहा है कि शीर्ष कंपनियां रिश्वत के तौर पर लड़कियां उपलब्ध कराती हैं। अगर प्रधानमंत्री ने ऐसा कहा है तो उन्हें अपनी बात साबित करनी चाहिए, अन्यथा वह इस गलत बयान के लिए माफी मांगें।
देश में डॉक्टरों के संगठन ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री अपनी बात साबित नहीं कर पाते हैं, तो उन्हें माफी मांगनी चाहिए।
आईएमए ने कहा, ”मीडिया में आई रिपोर्ट्स के मुताबिक़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बयान में कहा है कि शीर्ष फार्मा कंपनियों ने डॉक्टरों ने रिश्वत के तौर पर लड़कियां उपलब्ध कराईं हैं। आईएमए इस पर कड़ी आपत्ति जताता है अगर ऐसा प्रधानमंत्री ने कहा है।”
आईएमए ने कहा, ”हम जानना चाहते हैं कि क्या सरकार के पास उन कंपनियों की जानकारी थी जो डॉक्टरों को लड़कियां उपलब्ध कराती हैं, और अगर थी तो उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय में बैठक में बुलाने के बजाय आपराधिक मामला दर्ज क्यों नहीं कराया गया।”
आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजन शर्मा और सेक्रेटरी जनरल डॉ. आरवी असोकन के हस्ताक्षर वाली विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि पीएमओ ऐसे डॉक्टरों के नाम भी जारी करे। साथ ही राज्यों की मेडिकल काउंसिल ऐसे डॉक्टरों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करे।
नवंबर महीने में पुणे की संस्था सपोर्ट फॉर एडवोकेसी एंड ट्रेनिंग टू हेल्थ इनीशिएटिव्स ने अपनी स्टडी में दावा किया था कि डॉक्टर फार्मा कंपनियों से रिश्वत के तौर पर महंगी यात्राएं, टैबलेट, चांदी के सामान, सोने के गहने और पेट्रोल कार्ड तक लेते हैं।
आईएमए का कहना है कि उसे उम्मीद है सरकार इन आरोपों को साबित कर पाएगी। लेकिन अगर प्रधानमंत्री की ओर से आया ये बयान बिना किसी सत्यता को परखे दिया गया है तो उन्हें तत्काल माफी मांगनी चाहिए।