न्यूज डेस्क
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी किए जाने के बाद भारी संख्या में नेताओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया और नजरबंद किया गया है। नजरबंद किए गए लोगों में पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की छोटी बेटी इल्तिजा जावेद भी शामिल है।
अनुच्छेद 370 को लेकर मोदी सरकार के फैसले पर इल्तिजा ने भी सवाल उठाया था। उन्होंने अपनी मां महबूबा मुफ्ती की गिरफ्तारी पर भी सवाल उठाया था। इस बार इल्तिजा ने अपने को लेकर गृहमंत्री अमित शाह से सवाल किया है कि किस कानून के तहत उन्हें हिरासत में रखा गया है।
गौरतलब है कि इल्तिजा पांच अगस्त से श्रीनगर में अपने गुपकर रोड स्थित घर पर नजरबंद हैं।
इल्तिजा एक विश्वसनीय सहयोगी के जरिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को संबोधित करते हुए एक पत्र 15 अगस्त को एक पोर्टल साइट को भेजा, जिसमें उन्होंने अमित शाह से सवाल किया है।
इस पत्र में इल्तिजा गृह मंत्री अमित शाह को संबोधित करते हुए कहती हैं, ‘मेरे पास आपको यह पत्र लिखने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था, क्योंकि कई बार मैंने अपनी हिरासत का कारण जानना चाहा। उम्मीद है और प्रार्थना करती हूं कि अपने मौलिक अधिकारों के बारे में सवाल पूछे जाने को लेकर मुझे दंडित या गिरफ्तार नहीं किया गया। कश्मीर काले बादलों में घिरा हुआ है और मुझे आवाज उठाने वाले लोगों सहित यहां के लोगों की सुरक्षा का डर है।’
उन्होंने आगे लिखा, ‘हम कश्मीरी पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के एकपक्षीय फैसले के बाद से ही निराश हैं। मेरी मां और जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को उसी दिन कई अन्य लोगों के साथ हिरासत में लिया गया। कफ्र्यू लगे हुए दस से अधिक दिन हो गए हैं। घाटी में डर फैला है क्योंकि सभी तरह के संचार माध्यम बंद हैं। आज जब देश आजादी का जश्न मना रहा है, कश्मीरियों को उनके मानवाधिकारों से वंचित कर पिंजरे में कैद जानवरों की तरह रखा गया है। ”
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पत्र में लिखा गया है, ‘दुर्भाग्यवश, कुछ कारणों से मुझे भी मेरे घर पर नजरबंद रखा गया है और इसके कारण क्या हैं, यह आपको पता होगा। हमें यह भी नहीं बताया जाता है कि हमसे मिलने आने वालों को दरवाजे से ही लौटा दिया जाता है और मुझे भी घर से बाहर जाने की इजाजत नहीं है। मैं हालांकि किसी राजनीतिक दल से जुड़ी हुई नहीं हूं लेकिन हमेशा कानून का पालन करने वाली नागरिक हूं। हालांकि, सुरक्षाकर्मियों ने कई मीडिया पोर्टल और अखबारों को दिए गए साक्षात्कारों को मेरी गिरफ्तारी का कारण बताया गया है। वास्तव में मीडिया से दोबारा बात करने पर मुझे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई है।’
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पत्र में कहा गया, ‘ यह समझने में मैं असफल रही हूं कि मुझे कश्मीरियों की आवाज बुलंद करने के लिए क्यों दंडित किया जा रहा है। क्या कश्मीरियों के उस दर्द, यातना और रोष को व्यक्त करना अपराध है? मैं यह जानना चाहती हूं कि किन कानूनों के तहत मुझे हिरासत में रखा गया है और मुझे कब तक हिरासत में रखा जाएगा? क्या मुझे इसके लिए कोई कानूनी कदम उठाने की जरूरत है?’
उन्होंने कहा, ‘हमारे साथ इस तरह से बर्ताव किया जाना, दम घोंटने वाला और अपमानजनक है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में क्या किसी नागरिक को किसी तरह के दमन के खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार नहीं है? सत्यमेव जयते ने हमारे देश की भावना और इसके संविधान को परिभाषित किया है। यह एक दुखद विडंबना है कि सच बोलने के लिए मेरे साथ किसी युद्ध अपराधी की तरह बर्ताव किया जा रहा है।’