न्यूज डेस्क
देश में आर्थिक मंदी के बाद अब औद्योगिक उत्पादन में भी अब भारी गिरावट दर्ज की गयी है। मैन्युफैक्चरिंग और खनन क्षेत्र में सुस्ती के बाद सितंबर महीने में देश के औद्योगिक उत्पादन में करीब 4.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है। जबकि यह गिरावट अगस्त महीने में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में 1.1 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
आईआईपी में दर्ज हुई ये गिरावट पिछले आठ सालों की सबसे बड़ी है। बता दें कि साल 2011 में आईआईपी इससे निचले स्तर पर पहुंची थी तब जो गिरावट दर्ज की गयी थी वो पांच प्रतिशत थी।
पिछले साल के सितंबर महीने के मुकाबले औद्योगिक उत्पादन की दर काफी कम है। पिछले साल इसमें 4.6 फीसदी की बढ़त हासिल हुई थी। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार (आधार वर्ष 2011-12) आईआईपी सितंबर महीने में 123.3 था, जोकि पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले 4.3 फीसदी कम है।
इस साल के वित्त वर्ष में अप्रैल से सितंबर के दौरान सकल औद्योगिक उत्पादन वृद्धि की दर पिछले साल की अपेक्षा 1.3 फीसदी दर्ज की गई। जारी आंकड़ों के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में सितंबर महीने में 3.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। जबकि खनन कार्य में 8.5 फीसदी की गिरावट आई है। इसी प्रकार बिजली उत्पादन में 2.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
कई क्षेत्रों में दर्ज की गयी गिरावट
एजेंसियों से हासिल अपडेट डेटा के अनुसार, साल 2019 के अगस्त माह में आईआईपी के अनुमान में पहली बार संशोधन किया गया था। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के 23 औद्योगिक समूहों में से 17 उद्योगों के उत्पादन में गिरावट आई है। आईआईपी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की हिस्सेदारी 77 प्रतिशत है। इससे पहले अक्टूबर, 2014 में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के उत्पादन 1.8 प्रतिशत की कमी आई थी।
वहीं, मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि, ‘मोटर वाहन, ट्रेलर, सेमीट्रेलर की मैन्युफैक्चरिंग में सबसे ज्यादा गिरावट आई है, जोकि 24.8 फीसदी है। इसके बाद फर्नीचर की मैन्युफैक्चरिंग में 23.6 फीसदी, प्राथमिक वस्तुओं के उत्पादन में सितंबर में 5.1 फीसदी की गिरावट आई है। इसके अलावा पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन में 20.7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी है।