जुबिली न्यूज़ डेस्क
आईजीआरएस यानी जनसुनवाई पोर्टल जिसे मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने जनता की शिकायतों के तत्काल निस्तारण के लिए बनाया था। जनता में यह संदेश दिया गया कि जो शिकायतें अधिकारी नहीं सुन सुनते थे और ना ही उस पर कोई कार्यवाही करते थे, अब उनकी खैर नहीं।
26 अगस्त 2019 को जुबली पोस्ट ने बताया था कि किस तरह से लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारी इस पोर्टल को एक मजाक बनाये हुये हैं, इसके बाद भी लखनऊ विकास प्राधिकरण के अफसरों के रवैए में कोई सुधार नहीं आया।
आईजीआरएस पर शिवशंकर जयसवाल के 13. 8. 2019 के शिकायत संख्या 400 15719 049 579 के संदर्भ में फिर वही रटा रटाया जवाब आया कि सब नियमानुसार है, लेकिन कैसे यह नहीं बताया, जबकि एम टेक सिटी के सम्बन्ध में शिकायत थी।
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पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था सी-कार्बन ने भी इस पोर्टल की हकीकत पर सिलसिलेवार सवाल उठाते हुए बताया है कि किस तरह से जो शिकायतें की जा रही उनका निस्तारण बिना शिकायत का निस्तारण किए ही यह बता दिया जा रहा है कि अब इनका निस्तारण कर दिया गया है।
अब जबकि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने जनता में सरकार का विश्वास जगाने के लिए जनसुनवाई पोर्टल का गठन जोश खरोश के साथ किया था लेकिन अधिकारियों की नजर में राजनेताओं द्वारा की गई घोषणा को राजनीति के तहत की गई घोषणा है। और यही मानकर इस पोर्टल को एक मजाक के रूप में अधिकारियों ने लिया है।
जनता की समस्याओं को हल करने में पूरी तरह से अक्षम साबित हो रहे है जनसुनवाई पोर्टल के सम्बन्ध में आम जन में यह धारणा बनती जा रही है कि मुख्यमंत्री अधिकारियों के आगे बेबस हैं और अधिकारी मनचाहे ढंग से इस पोर्टल को चला रहे हैं।
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