जुबिली न्यूज डेस्क
तपती गर्मी में एक गिलास गन्ने का जूस जो ताजगी देता है वह शायद ही किसी ड्रिंक से मिले। इसीलिए तो गर्मियों में इसकी डिमांग बढ़ जाती है।
गर्मी आते ही बाजार में जगह-जगह गन्ने के रस के ठेले सज जाते हैं। इन ठेलों में उमडऩे वाली भीड़ बताती है कि यह क्यों लोगों को पंसद है। यह जितना स्वादिष्टï होता है उतना ही सेहत के लिए लाभदायक।
गन्ने का रस कई बीमारियों को दूर करने में औषधि का काम करता है। गन्ने का रस एक समृद्ध पौष्टिक पेय है। इसमें स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने वाले फाइटोन्यूट्रिएंट्स, एंटीऑक्सिडेंट और विटामिन सी और बी पाए जाते हैं।
यह लू लगने (हीटस्ट्रोक), शरीर में पानी की कमी, कब्ज, पीलिया आदि में ऊर्जा की आपूर्ति करके तुरंत राहत देता है। गन्ने के रस में चीनी न के बराबर होती है तथा ग्लाइसेमिक का सूचकांक (30-40) भी कम होता है। इसलिए जिन लोगों को मधुमेह है वो भी इसका सामान्य तरीके से उपयोग कर सकते हैं।
लेकिन जैविक प्रक्रियाओं के कारण गन्ने का रस निकालने के कुछ ही समय बाद इसका रंग और स्वाद खराब हो जाता है। इसी वजह से गन्ने के रस को लंबे समय तक नहीं रखा जा सकता है।
फिलहाल इस समस्या से आने वाले समय में निजात मिलने की उम्मीद जगी है। अब गन्ने के रस को तीन महीने तक सुरक्षित रखा जा सकेगा।
गन्ने के रस का लंबे समय तक उपयोग करने के लिए थर्मल उपचार किया जा सकता है, लेकिन इससे इसका स्वाद और सुगंध नष्ट हो जाती हैं। बिना थर्मल वाले तरीके से उपचारित करने पर ऐसा नहीं होता है।
आईआईटी खड़गपुर के कृषि और खाद्य अभियांत्रिकी डिपार्टमेंट के एक शोध छात्रा चिरस्मिता पाणिग्रही ने अपने पीएचडी शोध के हिस्से के रूप में, गन्ने के जूस को लंबे वक्त तक सुरक्षित रखने के लिए एक नई तकनीक ओजोन-असिस्टेड कोल्ड स्टरलाइजेशन टेक्नोलॉजी पर स्टडी किया है।
ये भी पढ़े : बच्चे खोने वाली ‘मांओं’ के घाव पर मरहम लगाने की कोशिश
ये भी पढ़े : कोरोना की जद में क्रिकेट का भगवान
इस तकनीक में थर्मल उपचार या केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसमें अच्छे तरीके से छाना गया (अल्ट्रा-फिल्टरिंग) और ताजे निकाले गए गन्ने के जूस का ओजोनिजेशन शामिल है।
इसके बाद एक कीटाणु विहीन वातावरण में गन्ने के रस की पैकेजिंग होती है। संयुक्त झिल्ली से छानने की प्रक्रिया और ओजोन (ओजोनिजेेशन) उपचार तकनीक के परिणामस्वरूप बैक्टीरिया में 7 लॉग कमी, यीस्ट और मोल्ड्स में 5 लॉग कमी और एंजाइम पॉलीफेनोल ऑक्सीडेज की 85 फीसदी निष्क्रियता है।
यहां पर लॉग कमी एक माप है, जो किसी दूषित पदार्थ की एकाग्रता को कम करती है।
भंडारण के दौरान देखा गया कि इसके स्वाद और रंग में कोई अंतर नहीं पाया गया। मतलब इसको कुछ सप्ताह तक उपयोग करने के लिए रखा जा सकता है।
संयुक्त तकनीक से उपचारित रस को इसके बायोएक्टिव और आवश्यक पोषक तत्वों में किसी भी बदलाव के बिना ठंडा करके 12 सप्ताह तक सफलतापूर्वक स्टोर किया जा सकता है।
ये भी पढ़े : बांग्लादेश में मोदी का विरोध, हिंसक प्रदर्शनों में पांच की मौत
ये भी पढ़े : पश्चिम बंगाल की 30 और असम की 47 विधानसभा सीटों पर पहले चरण का मतदान शुरू
ये भी पढ़े : शनाया ने अपने बेली डांस से ढाया कहर, देखें वीडियो
अपने शोध के बारे में चिरस्मिता ने बताया कि उपचारित रस के भंडारण के दौरान इसकी विशेषताएं बरकरार रहीं जैसे रस का विशेष रंग और स्वाद।
चिरस्मिता के पीएचडी कार्य को भारत सरकार के राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एनआरडीसी), नई दिल्ली द्वारा कुछ दिनों पहले राष्ट्रीय मेधावी आविष्कार पुरस्कार 2020 के लिए चुना गया था।