जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. बादलपुर स्थित कुमारी मायावती राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. दिव्या नाथ ने कहा है कि जनसंख्या वृद्धि और औद्योगिकरण के कारण जल संसाधनों की मांग में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है, वहीं सिंचाई,पेयजल व औद्योगिक सेक्टर्स में भूजल पर निरन्तर बढ़ती निर्भरता से भी अनेक क्षेत्रों में भूजल के अतिदोहन की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। इससे देश के अधिकांश क्षेत्रों में भूजल स्तर में चिंताजनक गिरावट आयी है जिसके कारण यह सीमित संसाधन,उपलब्धता एवं गुणवत्ता की दृष्टि से गम्भीर स्थिति में पहुँचता जा रहा है।
महाविद्यालय के भूगोल विभाग में उत्तर प्रदेश शासन के निर्देश पर 16 से 22 जुलाई 2021 तक ऑनलाइन माध्यम से भूजल सप्ताह कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। भूगर्भ जल संपदा के प्रति जन जागरूकता सृजित करने के उद्देश्य से आयोजित सात दिवसीय इस कार्यक्रम को दिए अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. दिव्या ने यह बातें कहीं।
कार्यक्रम के दूसरे दिन भूगोल विभाग की छात्राओं के लिए पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता आयोजित की गई जहाँ छात्राओं द्वारा भूजल के घटते स्तर के विभिन्न कारणों एवं समाधानों को रंगों एवम चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।
इसी क्रम में कार्यक्रम कार्यक्रम संयोजिका व विभागाध्यक्ष डॉ. मीनाक्षी लोहनी द्वारा “भूजल- वर्तमान और भविष्य” शीर्षक पर सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। डॉ. मीनाक्षी लोहनी ने कहा कि पृथ्वी पर पाये जाने वाले प्रत्येक जीव का जीवन जल पर ही निर्भर होता है। इसलिए जल की उपलब्धता नितान्त आवश्यक है। पानी को हम प्रकृति का मुफ्त या निशुल्क उपहार समझते हैं, जब वस्तुस्थिति यह है कि पानी प्रकृति का मुफ्त नहीं वरन् बहुमूल्य उपहार है। यदि हमने जल का विवेकपूर्ण ढंग से उपयोग एवं संरक्षण नहीं किया तो आज नहीं तो कल हमारे अस्तित्व को ही खतरा उत्पन्न हो जाएगा। इस अवसर पर उनके द्वारा छात्राओं से भविष्य में जल-संरक्षण के प्रयासों में तीव्रता लाने की शपथ दिलाई गई।
कार्यक्रमों की श्रृंखला में डॉ.कनक कुमार द्वारा “जल ही जीवन है” शीर्षक पर व्याख्यान दिया गया। उन्होंने कहा कि जल उन प्रमुख तत्वों में से एक है जो पृथ्वी पर रहने वाली सभी सजीव प्राणियों को जीवन-प्रदान करते हैं। जल के आभाव में पृथ्वी पर सजीव जगत की कल्पना करना नामुमकिन साबित होगा । जल के बिना न सिर्फ सजीव जगत की बल्कि इस हरी-भरी धरती की भी कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
डॉ. निशा यादव द्वारा “भूजल का गिरता स्तर- एक ज्वलंत समस्या ” विषय पर व्याख्यान दिया गया। उन्होंने कहा कि जल बिन जीवन के बारे सोचा भी नहीं जा सकता, लेकिन भूजल का जिस तरह दोहन व बर्बादी हो रही है उसको देखते हुए कहा जा सकता है कि हमारी भविष्य की पीढ़ी के लिए भूजल का गिरता स्तर एक बड़े संकट की तरह सामने आएगा। उन्होंने भूजल भण्डार खाली होने के तीन मुख्य कारण बताए, एक तो पानी की बढ़ती बर्बादी, दूसरा भूजल का अति दोहन, तीसरा तालाबों व कुओं का सूख जाना। उन्होंने कहा कि भूजल के गिरते स्तर को लेकर एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत दुनिया में भूगर्भ जल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करने वाला देश है।
21 जुलाई को आयोजित व्याख्यान में श्रीमती दीपांक्षी सिंह भूजल समस्या के सरोकार और सामाधन शीर्षक पर बोलते हुए कहा कि जल हमारे ग्रह पृथ्वी पर एक आवश्यक संसाधन है। इसके बगैर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। यही कारण है कि खगोलविद पृथ्वी से अलग किसी अन्य ग्रह पर जीवन की तलाश करते समय सबसे पहले इस बात की पड़ताल करते हैं कि उस ग्रह पर जल मौजूद है या नहीं। ‘जल है तो कल है’ जैसी उक्तियों के माध्यम से हम जल की महत्ता को ही स्वीकारते हैं। पृथ्वी का तीन चौथाई यानी 75 प्रतिशत भाग जल से आच्छादित है लेकिन इसमें से पीने योग्य स्वच्छ जल की मात्रा बहुत कम है। अतः भूजल की वर्तमान स्थिति को सुधारने के लिए इस दिशा में काम किए जाने के अलावा उचित उपायों से भूजल संवर्धन की व्यवस्था हमें करनी ही होगी।
भूजल सप्ताह कार्यक्रम के समापन दिवस पर आज 22 जुलाई को विभाग द्वारा समस्त छात्राओं से उक्त समस्या के सामाधन के सृजनात्मक उपाय सुझाने को कहा गया ताकि छात्राओं के चिन्तन को अभिव्यक्ति का अवसर प्रदान किया जा सके। उक्त के अतिरिक्त विभाग द्वारा मुक्त संवाद द्वारा समस्त छात्राओं से सात दिवसीय कार्यक्रम की प्रतिपुष्टि प्राप्त की गई ताकि उनके सार्थक सुझावों को भविष्य के कार्यक्रमों में सम्मलित किया जा सके।
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अपने समापन उदबोधन में संस्था की प्राचार्या डॉ. दिव्या नाथ ने कहा कि पानी की कमी न रहे, इसके लिए बारिश के पानी का संरक्षण व संग्रहण सबसे बेहतर उपाय है। यह लगातार गिरते जा रहे भूजल स्तर के लिहाज से न केवल महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे पानी की किल्लत को भी दूर किया जा सकता है। डॉ. निशा यादव द्वारा ऑनलाइन सभागार में उपस्थित सदस्यों को धन्यवाद ज्ञापित किया गया।