जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. बाम्बे हाईकोर्ट ने नाबालिग बलात्कार पीड़िता को गर्भपात की इजाजत दे दी है. 25 सप्ताह का गर्भ हो जाने की वजह से डाक्टरों ने उसका गर्भपात करने से इन्कार करते हुए कहा था कि 20 हफ्ते से ज्यादा का गर्भ हो जाने की स्थिति में गर्भपात की इजाजत नहीं होती है. ऐसे हालात में गर्भपात करने से प्रसूता की जान भी जा सकती है.
17 साल की गर्भवती किशोरी को केईएम अस्पताल ने गर्भपात न कराने की सलाह देते हुए कहा था कि उसका गर्भ 25 हफ्ते का हो चुका है. अस्पताल से इन्कार सुनने के बाद किशोरी के माँ-बाप हाईकोर्ट की शरण में गए. जस्टिस मिलिंद जाधव और जस्टिस के.के.तातेड़ ने अस्पताल को किशोरी का गर्भपात करने का आदेश दिया.
मुम्बई हाईकोर्ट ने केईएम अस्पताल के मेडिकल बोर्ड से किशोरी का चिकित्सीय परीक्षण कर रिपोर्ट माँगी तो मेडिकल बोर्ड ने कहा कि गर्भपात न कराया जाए तो स्वस्थ बच्चे का जन्म कराया जा सकता है. बच्चे के जन्म के बाद परिवार के लोग यह तय कर सकते हैं कि वह उसे पालेंगे या फिर किसी को गोद देंगे.
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अदालत ने बोर्ड की बात सुनने के बाद आदेश दिया क्योंकि किशोरी बलात्कार की वजह से गर्भवती हुए है इसलिए मानसिक रूप से बच्चे को जन्म देने के लिए तैयार नहीं हो सकती. अदालत ने कहा कि लड़की की मानसिक दशा को देखते हुए उसका गर्भपात कर दिया जाए. गर्भपात के बाद अगर जीवित बच्चे का जन्म होता है तो राज्य सरकार को उस बच्चे का ज़िम्मा लेना होगा.