Monday - 28 October 2024 - 11:06 AM

ऐसे ही तापमान बढ़ता रहा तो बढ़ जाएगी सूखे…

जुबिली न्यूज डेस्क

सूखे की समस्या भारत ही नहीं बल्कि कई देशों में बढ़ती जा रही है। भारत में तो सूखे की वजह से पलायन भी खूब हो रहा है। महाराष्ट्र , मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और चेन्नई समेत कई राज्यों के लोगों को गर्मी के महीने में सूखे की मार झेलनी पड़ती है।

सूखे की समस्या घटने के बजाए बढ़ती ही जा रही है। ऐसा क्यों हो रहा है, यह सबको पता है बावजूद इस दिशा में कोई सकारात्मक कदम उठता नहीं दिख रहा है।

सूखे को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है जिसमें कहा गया है कि अगले 80 से भी कम वर्षों में गंभीर सूखे से पीडि़त लोगों की संख्या दोगुनी हो जाएगी। जिसके लिए जलवायु परिवर्तन और जनसंख्या में हो रही वृद्धि जिम्मेवार है।

यह जानकारी मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा की गई स्टडी में सामने आई है। अंतराष्ट्रीय जर्नल नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित इस शोध में बताया गया है कि जहां 1976 से 2005 के दौरान विश्व की करीब 3 फीसदी आबादी गंभीर सूखे का सामना कर रही थी, जो सदी के अंत तक बढ़कर 8 फीसदी तक हो सकती है।

यह पहला शोध है जिसमें यह बताया गया है कि किस तरह जलवायु परिवर्तन और सामाजिक आर्थिक परिवर्तन भूमि जल भंडारण को प्रभावित करेंगें। साथ ही सदी के अंत तक सूखे के लिए इसका क्या मतलब होगा।

इस शोध के प्रमुख शोधकर्ता यदु पोखरेल ने कहा है कि यदि तापमान में इसी तरह तीव्र वृद्धि जारी रहती है और जल प्रबंधन के क्षेत्र में नए बदलाव न किए गए तो अधिक से अधिक लोग गंभीर सूखे का सामना करने को मजबूर हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि ऐसे में दक्षिणी गोलार्ध के देश जो पहले ही पानी की कमी से जूझ रहे हैं। वहां स्थिति बद से बदतर हो जाएगी। अनुमान है कि इसका सीधा असर खाद्य सुरक्षा पर पड़ेगा। इसके चलते पलायन और संघर्ष में इजाफा हो जाएगा।

यह भी पढ़ें : सावधान! कहीं वैक्सीन के चक्कर में आप हो न जाये कंगाल

यह भी पढ़ें : नई डिजिटल भुगतान प्रणाली से पाकिस्तान को मिलेगा सही ‘रास्ता’

इस शोध से जुड़े यूरोप, चीन, जापान और 20 से अधिक देशों के शोधकर्ताओं का अनुमान है कि दुनिया के दो-तिहाई हिस्से में प्राकृतिक भूमि जल भंडारण में आने वाले वक्त में बड़ी कमी आ सकती है और जिसकी वजह जलवायु में आ रहा परिवर्तन है।

यह भी पढ़ें : ‘गोडसे ज्ञानशाला’ के विरोध पर हिंदू महासभा ने क्या कहा?

यह भी पढ़ें : गोडसे आतंकी या देशभक्त ? सियासत फिर शुरू

हाल ही में आईएमडी द्वारा भी जारी रिपोर्ट से पता चला है कि 2020 भारतीय इतिहास का आठवां सबसे गर्म वर्ष था। इस वर्ष तापमान सामान्य से 0.29 डिग्री सेल्सियस अधिक रिकॉर्ड किया गया था। हालांकि यदि वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि की बात करें तो 2020 का औसत तापमान सामान्य से 1.2 डिग्री सेल्सियस अधिक था। जो बढ़ते तापमान की और इशारा करता है।

भूमि जल भंडारण, जिसे तकनीकी रूप से स्थलीय जल भंडारण के नाम से भी जाना जाता है। इसका अर्थ बर्फ, नदियों, झीलों, जलाशयों, वेटलैंड्स, मिट्टी और जमीन के अंदर जल के संचय से है। यह सभी दुनियाभर में जल और ऊर्जा की आपूर्ति के सबसे महत्वपूर्ण घटक हैं। इन सभी पर जल चक्र निर्भर करता है जो जल की उपलब्धता और सूखे को नियंत्रित करते हैं।

यह भी पढ़ें : विधान परिषद चुनावों में अखिलेश ने खेल दिया है बड़ा दांव

यह भी पढ़ें :देश के 7.5 करोड़ बुजुर्ग हैं गंभीर बीमारी से पीड़ित  

मालूम हो कि यह शोध दुनिया के 27 क्लाइमेट-हाइड्रोलॉजिकल मॉडलों के सिमुलेशन पर आधारित है, जिसमें 125 वर्षों का विश्लेषण किया गया है। साथ ही इंटर-सेक्टोरल इम्पैक्ट मॉडल इंटरकंपेरिसन प्रोजेक्ट नामक एक वैश्विक मॉडलिंग परियोजना का हिस्सा है।

पोखरेल ने बताया कि चूंकि शोध में स्पष्ट हो गया है कि किस तरह जलवायु परिवर्तन वैश्विक जल आपूर्ति को बधित कर रहा है और सूखे की समस्या को बढ़ा रहा है। ऐसे में हमें दुनिया भर में गंभीर जल संकट और उसके भयावह सामाजिक-आर्थिक परिणामों से बचने के लिए जल संसाधन प्रबंधन में सुधार करने की त्वरंत जरुरत है। साथ ही जलवायु परिवर्तन से निपटना भी अत्यंत जरुरी है।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com