जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. कोरोना महामारी के दौर में कई घरों के चिराग गुल हो गए. कई ऐसे घर भी हैं जहां कमाने वाला ही कोई नहीं रहा. ऐसे लोगों के सामने यह दिक्कत हो गई कि वह बच्चो को पढ़ाएं कैसे और घर का राशन-पानी कहाँ से खरीदें.
महामारी के इस बुरे दौर में उन कर्मचारियों के परिवारों के लिए यह राहत की खबर है कि अगर उनका प्राविडेंड फण्ड कटता है और वह कम से कम साल भर से नौकरी कर रहे थे तो उनके परिवार को इंश्योरेंस कम्पनी से सात लाख रुपये मिलेंगे. पहले यह राशि छह लाख रुपये थी लेकिन श्रम मंत्री संतोष गंगवार की अध्यक्षता वाले ईपीएफओ के सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ़ ट्रस्टीज ने नौ सितम्बर 2020 को बीमा की रकम एक लाख रुपये बढ़ाकर उसे सात लाख रुपये कर दिया था.
यह धनराशि जिस कर्मचारी का कटता है उसके नामिनी को मिलेगी. मृत्यु दुर्घटना में हो, बीमारी में हो या फिर स्वाभाविक इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. ऐसे में कोरोना से मरने वाले व्यक्ति के परिवार को सात लाख रुपये की सहायता मिल जायेगी. इंश्योरेंस कम्पनी में इसके लिए परिवार को दावा करना पड़ेगा और दावा करने की कोई समय सीमा नहीं है.
अगर पीएफ कटवाने वाले किसी कर्मचारी ने अपना नामिनी घोषित नहीं किया है तो भी बीमा कम्पनी को मरने वाले के कानूनी उत्तराधिकारी को यह क्लेम देना होगा. कानूनी उत्तराधिकारियों में पत्नी, कुंवारी बेटियां और नाबालिग बेटा को शामिल किया गया है.
यह भी पढ़ें : ट्रायल के तौर पर छप रहे हैं 100 रुपये के एक अरब नोट, जानिये क्यों
यह भी पढ़ें : धन्नीपुर मस्जिद ने निर्माण की दिशा में बढ़ाया एक और कदम
यह भी पढ़ें : अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर रोक 30 जून तक बढ़ी
यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : नदियों में लाशें नहीं हमारी गैरत बही है
यह क्लेम लेने के लिए उत्तराधिकारी को फार्म 5 IF भरकर जमा करना होगा. यह फार्म जहाँ कर्मचारी नौकरी करता था वहां के एम्प्लायर से अटेस्ट कराने के बाद जमा कराना होगा. इस फार्म को मजिस्ट्रेट, राजपत्रित अधिकारी या ग्राम पंचायत अध्यक्ष से वेरीफाई कराया जा सकता है.