न्यूज डेस्क
जरूरी नहीं कि आप सम्मानित नागरिक हो तो आपको काम मिल जायेगा। ऐसे तमाम उदाहरण हमारे समाज में मौजूद है जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर नाम और सम्मान अर्जित किया लेकिन आज दो जून की रोटी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। इस कड़ी में एक और नाम जुड़ गया है और वह हैं ओडिशा के आदिवासी किसान और पद्मश्री से सम्मानित दैतारी नायक।
पद्मश्री से सम्मानित दैतारी नायक को दो जून की रोटी जुटाने के लिए भी काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। हालत यह है कि उन्हें जिंदा रहने के लिए चींटियों का खाना पड़ रहा है। इस प्रतिष्ठित सम्मान की वजह से उन्हें काम नहीं मिल रहा है। हालात इतने बुरे हैं कि अब वह अपना पद्मश्री सम्मान भी सरकार को लौटाने का मन बना रहे हैं।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसी साल 16 मार्च 2019 को दैतारी को ओडिशा में तीन किलोमीटर नहर बनाने के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। नायक का कहना है कि पद्मश्री उनके जीवनयापन में मुश्किलें पैदा कर रहा है।
पद्मश्री दैतारी नायक का कहना है कि इस सम्मान ने उन्हें गरीबी की ओर धकेल दिया है। वह कहते हैं, ‘पद्मश्री ने किसी भी तरह से मेरी मदद नहीं की। पहले मैं दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करता था। लोग मुझे काम ही नहीं दे रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यह मेरी प्रतिष्ठा के अनुरूप नहीं है। अब हम चींटी के अंडे खाकर गुजर-बसर कर रहे हैं।’
उन्होंने कहा, ‘अब मैं अपने परिवार को चलाने के लिए तेंदू के पत्ते और आम पापड़ बेचता हूं। इस सम्मान ने मेरा सब कुछ ले लिया है। मैं इसे वापस लौटाना चाहता हूं ताकि मुझे फिर से काम मिल सके।’
उन्होंने कहा कि हर महीने 700 रुपये की वृद्धावस्था पेंशन से उनके पूरे परिवार का जीवनयापन करना मुश्किल है। उन्हें कुछ दिन पहले इंदिरा आवास योजना के तहत एक घर आवंटित हुआ था, जो अधूरा है, जिस वजह से उन्हें अपने पुराने फूस के घर में ही रहना पड़ रहा है।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दुखी दैतारी ने अपना पद्मश्री सम्मान का मेडल बकरी के बाड़े में लटका दिया है। नायक के बेटे आलेख भी एक मजदूर हैं। उनका कहना है कि उनके पिता से सड़क निर्माण और नहर को खराब होने से बचाने के वादे पूरे नहीं किए गए। उनसे कहा गया था कि पथरीली नहर को कंक्रीट का बना दिया जाएगा, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ।
क्योंझर जिले के कलेक्टर आशीष ठाकरे ने कहा कि हम इस बारे में पूछताछ करेंगे कि नायक पद्मश्री क्यों लौटाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘हम उनकी समस्या सुनेंगे और उनसे पुरस्कार नहीं लौटाने के लिए समझाने की गुजारिश करेंगे।’
ओडिशा के क्योंझर जिले के खनिज संपन्न तालबैतरणी गांव के रहने वाले दैतारी (75) ने सिंचाई के लिए 2010 से 2013 के बीच अकेले ही गोनासिका का पहाड़ खोदकर तीन किलोमीटर लंबी नहर बना दी थी। इस नहर से अब 100 एकड़ जमीन की सिंचाई होती है।
हालांकि इस मामले पर राजनीति भी शुरु हो गई। कांग्रेस नेताओं ने नवीन पटनायक सरकार की आलोचना की, लेकिन अधिकांश राज्यों में ऐसे दो-चार मामले मिल जायेंगे। ऐसे लोगों को उनके कामकाज पर सरकार ने प्रतिष्ठित सम्मान से नवाज दिया लेकिन उनके लिए दो जून की रोटी का कोई प्रबंध नहीं किया।