ख्वाहिश
मैं तेरे मन का इक हिस्सा
कुछ बात बताने आया हु
कैसे तुमने मुझे मारा है
ये अहसास कराने आया हु ।
तुम सबके अंदर हु मै पनपा
तुम सबने मुझे चाहा है ,
मैं तेरी वो ख्वाहिश हूं
जिसे तुमने खुद ही मारा है ।
तुम सबने मुझको है त्यागा
तुम सबने मुझको है छोड़ा,
किसी ने दुनिया जहान के लिये
किसी ने अपने अभिमान के लिए
किसी ने घर की शान के लिए
फर्क मुझे नही अब पड़ता है
कि तर्क तुम्हारे जो भी हों
मानो तुम या ना मानो
मेरे कातिल तो तुम खुद ही हो ।
माना ख्वाहिश था काफ़ी पुरानी मै
और ज़िंदगी काट दी तुमने मेरी कुर्बानी में
पर अब खुद से एक सवाल कर
क्या खुश हो तुम 9 से 5 की गुलामी में ?
ख्वाहिश पूरी करना भी आज बहुतो की बस ख़्वाहिश है
जो ख्वाहिश पूरी करने पर हार मिले तो ठीक सही
तुम दुनिया से कह तो सकते की
तुम भेड़चाल की भेड़ नहीं ।
ख्वाहिश जिसको तुम कहते हो
वो ख़्वाब बनी रह जाएगी
और ख्वाब बनी रह गयी तो
हकीकत में कुछ ना कर पाओगे
गर ख्वाहिश पाने की ख्वाहिश ने साथ दिया तो ठीक सही
उसने भी गर छोड़ दिया
तो बस काश कहते रह जाओगे ।
मै तेरे मन का इक हिस्सा
कुछ बात बताने आया था
कैसे तुमने मुझे मारा है
ये अहसास कराने आया था ।