न्यूज डेस्क
यह कैसा सिस्टम है। यह कैसी सजा है। जो निर्दोष है वह खाली जेब, भूखे-प्यासे पैदल चलने को मजबूर हैं। सड़कों पर पुलिस की लाठी खा रहे हैं ओर जो दूसरे देशों से कोरोना वायरस लेकर आए वे अपनेे घरों में बैठे हैं। टीवी देख रहे हैं, सोशल मीडिया पर दिल्ली, अहमदाबाद, कोलकाता, पंजाब के शहरों में मजूदरों के हुजूम पर कमेंट कर रहे हैं कि ये लोग कोरोना संक्रमण को बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
24 मार्च की रात से देश में लॉकडाउन लागू हैं। अधिकांश आबादी घरों में बंद हैं , लेकिन देश के एक तबका सड़क पर धक्के खा रहा है। भूखा-प्यासा है। शहरों में रोजगार की तलाश में गए ये मजदूर शहर में रोजी-रोटी का कोई ठिकाना न होने की वजह से अपने गांव लौटने के लिए परेशान है। चूंकि ट्रेन, बस सब बंद है इसलिए शहरों में फंसे मजदूर जैसे सूझ रहा है वैसे अपने गांव जा रहे हैं। उनकी मुश्किले यहीं नहीं थम रही है। पुलिस का बर्बर रवैया उनकी मुश्किले बढ़ाने का काम कर रहा है। सोशल मीडिया पर पिछले चार दिन में सैकड़ों वीडियो आ चुके है जिसमें पुलिस लोगों की पिटाई करती दिख रही है। पिटाई तक तो ठीक थी, मध्य प्रदेश में तो एक महिला पुलिसकर्मी ने तो मानवता को शर्मसार कर दिया है।
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मध्य प्रदेश में एक महिला पुलिसकर्मी ने कार्रवाई के नाम पर मजदूर के माथे पर लिख दिया कि मुझसे दूर रहो। कलम से मजदूर के माथे पर लिखते हुए महिला सब-इंस्पेक्टर की तस्वीर भी सामने आई है। जिसमें दिख रहा है कि वो इस युवक के माथे पर लिख रही हैं।
मजदूर के माथे पर लिखा गया है कि ‘मैंने लॉकडाउन तोड़ा है मुझसे दूर रहो।’ यह घटना छत्तरपुर के गोरिहार इलाके में हुई है। लेकिन अब इस मामले में सब-इंस्पेक्टर के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी चल रही है। जिले के एसपी कुमार सौरभ ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि ‘ऐसा व्यवहार बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस मामले में कानून के मुताबिक आरोपी पुलिसकर्मी पर कार्रवाई की जा रही है।
लॉकडाउन के दौरान किसी को भी गैरजरुरी घर से निकलने की मनाही है। ऐसे जो लोग निकल रहे हैं, यदि उनकी पुलिस पिटाई कर रही है तो यह जायज है लेकिन जो मजबूरी में निकल रहे हैं उनके साथ पुलिस को थोड़ा मानवता बरतने की जरूरत है। जिस तरह से मजदूर के माथे पर महिला पुलिसकर्मी ने लिखा है, यह कृत्य को कही से जायज नहीं ठहराया जा सकता।