Monday - 4 November 2024 - 8:16 AM

“मैं बिहार के एक सरकारी स्कूल में शिक्षक हूं, सरकार के आदेश पर खाली बोरे बेच रहा हूं”

जुबिली न्यूज डेस्क

बिहार के कटिहार के जिले के कड़वा प्रखंड के एक सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल मुहम्मद तमीज़ुद्दीन हर सुबह अपने सिर पर खाली बोरियों का ढेर लेकर स्थानीय बाजार जाते हैं, और उन्हें वहां बेचने की कोशिश करते हैं।

तमीज़ुद्दीन तेज-तेज आवाज में चिल्लाकर लोगों से बोरा खरीदने की अपील करते रहते हैं, लेकिन लोग उनका बोरा नहीं खरीदते हैं। वह यह भी कहते हैं कि भाई बोरा ले लो, नहीं तो सैलरी नहीं मिलेगी। लेकिन लोग यह कहकर बोरा नहीं खरीदते हैं क्योंकि सारे बोरे खराब होते हैं, कटे-फटे बोरे वो भी 10 रुपये के, जाओ यहां से कोई नहीं लेगा, कुछ ऐसा ही हर रोज तमीज़ुद्दीन को सुनना पड़ता है।

वहीं बाजार में देखने वालों को भी यह अजीब लगता है कि एक स्कूल का प्रधानाध्यापक जूट के बोरे बेच रहा है।

तमीज़ुद्दीन अपनी खुशी से बोरा बेचने नहीं जा रहे है, बल्कि नीतीश सरकार के एक फरमान ने उन जैसे बिहार के सरकारी स्कूल केे प्रिन्सिपल्स को मुसीबत में डाल रखा है।

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दरअसल नीतीश सरकार का आदेश है कि मिड-डे-मील के लिए जिस बोरे में अनाज आता है, उसे बेच कर प्रिंसिपल पैसा सरकार को दें। इसके लिए बकायदा सरकार ने रेट भी फिक्स कर रखा है।

सरकार के फरमान का आलम यह है कि प्रिंसिपल स्कूल में पढ़ाने की बजाय सड़क पर बोरा बेच रहा हैं। इसी फरमान के चलते मुहम्मद तमीज़ुद्दीन भी बोरा बेचने जा रहे हैं।

तमीजुद्दीन गले में तख्ती भी लटकाए रखते हैं जिस पर लिखा होता है- “मैं बिहार के एक सरकारी स्कूल में शिक्षक हूं, सरकार के आदेश पर खाली बोरे बेच रहा हूं।”

तमीजुद्दीन के विरोध का ये तरीका और उनका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। बिहार की प्रमुख विपक्षी पार्टी राजद ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा- “बिहार के नियोजित शिक्षक मिडडे मील के अनाज का बोरा बेचते हुए! दरअसल शिक्षकों को 2014-2016 वित्तीय वर्ष का मिडडे मील अनाज का बोरा?10 प्रति बेचने का विभागीय आदेश मिला है! रही बात चूहों की तो “सुशासन” पीडि़त बिहारवासी अरबों का बांध, शराब निगल जाने वाले चूहों की महिमा खूब जानते हैं!”

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मालूम हो कि नीतीश सरकार ने मिड-डे-मील योजना के सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों (डीपीओ) को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि उनके क्षेत्र के स्कूल जूट के बोरे बेचें जिसमें उन्हें खाद्यान्न (चावल और दाल) की आपूर्ति की गई थी।

इसके लिए प्रिंसिपल से कहा गया है कि अगर वे जूट के बोरे बेचने और पैसे जमा करने में विफल रहे तो उन्हें दंडित किया जाएगा। इसलिए पूरे बिहार में कई प्रिंसिपल और शिक्षक इस आदेश के विरोध में बोरियों की फेरी लगाने सड़कों पर उतर आए हैं।

Radio_Prabhat
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