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कृषि विश्वविद्यालय पर चला शासन का हंटर, सम्बद्ध कार्मिकों की सम्बद्धता समाप्त करने का आदेश

प्रमुख संवाददाता

लखनऊ. कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर में चल रही अनियमितताओं का अंतत: उत्तर प्रदेश सरकार ने संज्ञान ले लिया है. अपर मुख्य सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति को पत्र लिखकर विश्वविद्यालय में सम्बद्ध किये गए कृषि विज्ञान केन्द्रों के कार्मिकों की सम्बद्धता को समाप्त किये जाने का आदेश दिया है.

पहली सितम्बर 2020 को लिखे गए इस पत्र में कहा गया है कि मौजूदा कुलपति के कार्यभार गृहण करने से पहले पूर्व कुलपतियों ने कृषि विश्वविद्यालय कानपुर के नियंत्रण में आने वाले कृषि विज्ञान केन्द्रों पर कार्यरत वैज्ञानिकों को मुख्यालय से स्थानांतरित किया गया है. यह स्थानान्तरण नियमों के अंतर्गत नहीं है. इस सम्बन्ध में 26 जून 2019 को शासनादेश किया गया था. इसमें कहा गया था कि कृषि विश्वविद्यालयों के अंतर्गत संचालित कृषि विज्ञान केन्द्रों के कार्मिक अगर विश्वविद्यालय से सम्बद्ध किये गए हैं तो उन्हें तत्काल अवमुक्त कर दिया जाए.

इस शासनादेश के बाद सरकार ने 30 दिसम्बर 2019, पांच फरवरी 2020, दो जून 2020, 10 जुलाई 2020 और 15 जुलाई 2020 को पत्र लिखे गए लेकिन विश्वविद्यालय ने आज तक सरकार को इस सम्बन्ध में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई. एमएलसी संजय कुमार मिश्र ने इस सम्बन्ध में सवाल भी उठाया था. शासन ने विश्वविद्यालय को आदेश दिया है कि दो दिन के भीतर ऐसे कार्मिकों की सम्बद्धता समाप्त कर सरकार को सूचित करें.

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अपर मुख्य सचिव के इस पत्र में कहा गया है कि कृषि विश्वविद्यालय कानपुर में विभिन्न कुलपतियों के कार्यकाल के दौरान कृषि विज्ञान केन्द्रों के जिन कार्मिकों को विश्वविद्यालय में सम्बद्ध किया गया उनके नाम, पदनाम, मूल संस्थान, सम्बद्धता की तारीख, सम्बद्धता की अवधि की जानकारी देने के साथ ही यह भी पूछा गया है कि ऐसे कार्मिकों से किस तरह का काम विश्वविद्यालय में लिया गया.

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शासन ने विश्वविद्यालय से कहा है कि इसकी तालिका बनाकर विस्तार से जानकारी दें. इन स्थानान्तरण और सम्बद्धता के लिए जो अधिकारी ज़िम्मेदार हैं उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करें. अगर यह कार्रवाई शासन स्तर से होनी है तो उसकी जानकारी भी उपलब्ध कराएं. इस तालिका में यह भी दर्ज करें कि इन कार्मिकों का वेतन किस मद से दिया गया. साथ ही यह भी बताया जाए कि क्या इस सम्बद्धीकरण के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली से अनुमति ली गई थी या नहीं.

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