जुबिली न्यूज डेस्क
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से दुनिया भर के शेयर बाजारों में भारी गिरावट का दौर जारी है। भारतीय शेयर बाजार भी बिकवाली के इस ट्रेंड से अछूते नहीं हैं और लगातार नुकसान का सामना कर रहे हैं।
भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली हावी है। सेंसेक्स 1739.99 अंक यानी 3.20 प्रतिशत गिरकर 52,593.82 पर आ गया है। वहीं, निफ्टी 489.70 अंक यानी 3.01 प्रतिशत गिरकर 15,755.65 पर है।
इस हफ्ते के पहले दिन जैसे ही बाजार ओपन हुआ, बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी एक और बड़ी गिरावट की ओर बढ़ गए। टाटा मोटर्स का शेयर आज 400 रुपये से नीचे खुला और करीब 5.5 फीसदी की गिरावट के साथ 395 रुपये पर कारोबार कर रहा था।
यह भी पढ़ें : रूस के इस शर्त की वजह से तेल की कीमतों में लगी आग
यह भी पढ़ें : पुलिस कमिश्नर बनकर वो कर रहा है युवती को ब्लैकमेल
यह भी पढ़ें : हाईकोर्ट ने कहा सरकार सही, राष्ट्र हित के सामने जाति या व्यक्ति हित अहम नहीं
रूस-यूक्रेन में युद्ध के बीच सेंसेक्स और निफ्टी आज भी गिरावट के साथ खुले। सप्ताह के पहले कारोबारी दिन सोमवार को बीएसई का 30 शेयरों वाला प्रमुख संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह सवा नौ बजे 1161.3 अंक लुढ़ककर 53,172.51 के स्तर पर खुला।
वहीं निफ्टी ने भी आज लाल निशान के साथ कारोबार की शुरुआत की। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 53000 के नीचे आ गया। यह 1409.27 अंक या 2.59त्न टूटकर 52,924.54 के स्तर पर था। वहीं, निफ्टी 398.00 अंकों का गोता लगाकर 15,847.35 के स्तर पर कारोबार कर रहा था।
शीर्ष सात कंपनियों का पूंजीकरण 2.11 लाख करोड़ रुपये घटा
शेयर बाजार में पिछले हफ्ते चौतरफा बिकवाली के चलते शीर्ष 10 कंपनियों में सात का बाजार पूंजीकरण 2.11 लाख करोड़ रुपये घट गया। इसमें एचडीएफसी, एचडीएफसी बैंक और हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईसीआईसीआई बैंक, बजाज फाइनेंस, भारती एयरटेल और भारतीय स्टेट बैंक शामिल हैं। इसके विपरीत रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, इंफोसिस और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के मूल्यांकन में बढ़ोतरी हुई।
मार्च में एफपीआई ने 17,537 करोड़ निकाले
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने मार्च के सिर्फ तीन कारोबारी दिवसों (दो से चार मार्च) में ही भारतीय शेयर बाजारों से 17,537 करोड़ रुपये की निकासी कर ली है।
यह भी पढ़ें : रविचंद्रन अश्विन ने TEST विकेट के मामले में कपिल को पीछे छोड़ा
यह भी पढ़ें : रिपोर्ट में दावा, रूस यूक्रेन में लड़ने के लिए सीरियाई लड़ाकों की कर रहा भर्ती
यूक्रेन संकट की वजह से पैदा हुई अनिश्चितता और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों से कारोबारी धारणा पर पड़े प्रतिकूल असर ने एफपीआई की इस निकासी को रफ्तार देने का काम किया है।
इसके अलावा एफपीआई डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोर होती स्थिति को देखते हुए ऋण खंड में भी बिकवाल बने हुए हैं।