शबाहत हुसैन विजेता
लखनऊ. कोरोना महामारी से जंग में पूरी दुनिया जूझ रही है. सभी देशों ने इससे निबटने के लिए अपनी-अपनी रणनीति तैयार की हैं. भारत ने जनता कर्फ्यू से शुरू कर इस जंग को लॉक डाउन के स्तर तक पहुंचाया. पूरे देश को घरों के भीतर रहने के लिए लोगों की मर्जी से तैयार कर लिया.
भारत सरकार ने कोरोना से जंग के लिए आरोग्य सेतु नाम के एक टूल का भी इस्तेमाल किया है. यह टूल हर स्मार्ट फोन में इंस्टाल करना ज़रूरी करार दिया गया है. एक बड़ी जनसंख्या ने इसे अपने फोन में इंस्टाल भी कर लिया है, बावजूद इसके बड़ी संख्या में लोग इस बात को लेकर डरे हुए हैं कि इस एप के ज़रिये उनका निजी डाटा उनके हाथ से निकलकर कहीं और इस्तेमाल न हो जाए. हालांकि सरकार ने इसे पूरी तरह से सेक्योर बताया है लेकिन सवाल यह तो है कि संदेह का सेतु तैयार हुआ कैसे. आखिर आरोग्य सेतु संदेह का सेतु कैसे बन गया.
आरोग्य सेतु को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी आपत्ति जताई थी. अब यही आपत्ति उन सभी लोगों की है जिन्होंने इसे अब तक अपने फोन में डाउनलोड नहीं किया है. इसे लेकर संदेह के बादल तब और गहरा गए जब इस एप को उन मोबाइल फोन में डाउनलोड करवाया गया जिनके ज़रिये बच्चे अपने स्कूलों की ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं.
आरोग्य सेतु डाउनलोड करने वालों को सरकार ने आश्वस्त किया है कि इस एप के ज़रिये मिली जानकारी को सरकार सिर्फ कोरोना महामारी से निबटने के लिए कर रही है. यहाँ यह सवाल भी तो खड़ा होता ही है कि कोरोना महामारी को परास्त कर लेने के बाद क्या गारंटी है कि जिस एजेंसी के ज़रिये इस एप का इस्तेमाल करवाया जा रहा है उसी एजेंसी के ज़रिये व्यक्ति की निजी जानकारी का इस्तेमाल कहीं और नहीं किया जाएगा.
आरोग्य सेतु को लेकर सरकार का दावा है कि यह एप लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरों के प्रति आगाह करता है. इस एप का इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति अपने आसपास मौजूद कोरोना पॉजिटिव लोगों की जानकारी जुटा लेता है.
बताया गया है कि यह डिवाइस अपने आसपास के इन्त्रक्षण की जानकारी को 30 दिन तक फोन में ही संभालकर रखता है. गैर जोखिम वाले का डाटा 45 दिनों में और पॉजिटिव रोगियों का डाटा ठीक होने के 60 बाद हटा लिया जाता है.
यहाँ संदेह इसी से पैदा होता है कि यह एप मोबाइल नम्बर के ज़रिये डाउनलोड होता है. ओटीपी के ज़रिये यह एप यह तसल्ली भी कर लेता है कि बताया गया मोबाइल फोन सही है. मोबाइल फोन के ज़रिये किसी भी व्यक्ति की सभी निजी जानकारियाँ कुछ ही पलों में सामने लाई जा सकती हैं.
इस एप को ब्लूटूथ और जीपीएस के ज़रिये कारगर बनाया गया है. यानी इस एप के ज़रिये किसी भी व्यक्ति की मौजूदा लोकेशन को कभी भी ट्रैक किया जा सकता है. हालांकि मौजूदा समय में इस तकनीक के ज़रिये यह रीड किया जाना है कि कहीं आप कोरोना संक्रमित मरीज़ के करीब तो नहीं पहुँच गए थे, लेकिन भविष्य में आपकी लोकेशन पर लगातार किसी एजेंसी की नज़रें गड़ी रहेंगी यह संदेह बना हुआ है.
आरोग्य सेतु के ज़रिये लोगों पर 24 घंटे नज़र रखने की जो तकनीक निकाली गई है और लगातार डेटा जमा किया जा रहा है वह डेटा किस एजेंसी के पास जा रहा है इसकी जानकारी किसी को नहीं दी गई है.
महामारी से बचना हर कोई चाहता है लेकिन अपनी निजता को कोई सार्वजानिक भी नहीं करना चाहता है. पिछले एक साल में निजी जानकारियों को लेकर जिस तरह का माहौल देश में तैयार हुआ है उसमें सिर्फ एक एप के ज़रिये कहीं सारी जानकारी कोई एजेंसी न जुटा ले यह संदेह पैदा हुआ है तो सरकार को इस संदेह पर जमी धुंध को भी साफ़ करना चाहिए.