प्रमुख संवाददाता
लखनऊ. प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कोरोना महामारी के समय में कल घोषित किये गए 20 लाख करोड़ के पैकेज में से केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आज साढ़े तीन लाख करोड़ के खर्च का लेखा जोखा पेश किया. निर्मला सीता रमण ने बताया कि सरकार के इस कदम से किस-किस वर्ग को कितना फायदा पहुंचेगा.
प्रधानमन्त्री गरीब कल्याण योजना के लिए एक लाख 70 हज़ार करोड़ की योजना प्रधानमन्त्री खुद पहले ही पेश कर चुके हैं. स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने भी विभिन्न सेक्टर्स और इंडस्ट्री के लिए पांच लाख 24 करोड़ की योजना का एलान भी पहले ही कर दिया था. केन्द्रीय वित्त मंत्री से आज बचे हुए 13 लाख करोड़ रुपयों की योजनाओं के बारे में समझने के लिए लोग इंतज़ार कर रहे थे लेकिन वित्त मंत्री ने आज सिर्फ साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये की योजनाओं पर ही बात की. साढ़े नौ लाख करोड़ के खर्च के बारे में अभी चर्चा नहीं हुई है.
लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर और अर्थशास्त्री अजय प्रकाश का इस मुद्दे पर कहना है कि सरकार ने एमएसएमई ( मिनिस्ट्री ऑफ़ माइक्रो, स्माल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज) को लेकर जो घोषणाएं की हैं, वह अच्छी हैं. उसका फायदा आने वाले वक्त में दिखाई देगा. एमएसएमई के लिए यह संकट का दौर है. उसमें उसके लिए 20 हज़ार करोड़ का पैकेज उसके लिए ज़रूर फायदे का होगा. पहले 25 लाख की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट माइक्रो की श्रेणी में आती थी लेकिन आज से एक करोड़ मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट भी माइक्रो में आयेगी. ऐसा होने से व्यापार होने में सहूलियत हो जायेगी.
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टीडीएस में दी गई 25 परसेंट की छूट को वह तात्कालिक फायदा मानते हैं क्योंकि आगे चलकर इसका कोई फायदा नहीं होगा. इसी तरह से वित्तमंत्री ने NBFC के लिए लोन देने की जो आसान राह बनाई है उसमें कोई भी व्यापारी लॉक डाउन में लोन नहीं लेना चाहेगा. लॉक डाउन खत्म होने के बाद ही व्यापारी अपने व्यापार के लिए लोन के बारे में ठीक से सोच पायेगा. इसके लिए सरकार को एक पैरलल वर्किंग कमेटी बनानी होगी जो इस प्रकरण को ठीक से निबटा सके.
डॉ. अजय प्रकाश ने बताया कि सरकार ने संकट का सामना कर रही बिजली कम्पनियों के लिए जो 90 हज़ार करोड़ के पैकेज का एलान किया है. वास्तव में वह पैसा फिलहाल सरकार के पास ही रहेगा. जैसे-जैसे ज़रूरत पड़ती जायेगी वह पैसा ट्रांसफर होता जायेगा.
वित्तमंत्री ने ईपीएफ को लेकर जो बयान दिया है उसका फायदा ज़रूर लोगों को होगा. जब लॉक डाउन का शुरुआती दौर था तब सरकार ने ईपीएफओ में तीन महीने का योगदान देने की बात कही थी, जिसे अब छह महीने के लिए बढ़ा दिया है. इसके साथ ही पीएफ में अंशदान 12 से घटाकर 10 फीसदी कर दिया है.