जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. भारत की सड़क में अपनी ज़मीन का दावा करने वाले नेपाल ने फिलहाल अपने कदम वापस खींच लिए हैं. नेपाल ने भारतीय क्षेत्र को अपना बताये जाने वाले मानचित्र के लिए किये जाने वाले संवैधानिक संशोधन को टाल दिया है. बताया जाता है कि विपक्षी नेपाल कांग्रेस के साथ मिलकर नेपाल सरकार ने जो भारत विरोधी कदम उठाया था उसके लिए केन्द्रीय समिति की बैठक में मंजूरी ज़रूरी होती है. इस मंजूरी के अभाव में नेपाल ने संवैधानिक संशोधन को टालने का फैसला किया.
नेपाली कांग्रेस के नेता कृष्ण प्रसाद सिटौला के मुताबिक़ मानचित्र अपडेट का फैसला केन्द्रीय कार्य समिति की अगली बैठक में लिया जाएगा. यही वजह है कि नेपाल के 2077 वां संविधान संशोधन टालने का फैसला किया गया.
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अमरनाथ यात्रा के लिए भारत सरकार द्वारा बनाई गई 80 किलोमीटर लम्बी सड़क के भारतीय क्षेत्र लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाल ने अपना क्षेत्र बताकर विवाद खड़ा कर दिया था. इस विवाद के शुरू होने के बाद नेपाल के राष्ट्रपति ने संसद के संयुक्त सत्र में नए नक़्शे प्रकाशित करने की बात कही थी ताकि उसमें उन सभी क्षेत्रों को शामिल कर लिया जाए जिन्हें नेपाल अपना मानता है.
सच बात तो यह है कि 1816 में हुई सुगौली संधि में नेपाल के राजा ने कालापानी और लिपुलेख समेत अपने कुछ हिस्से ब्रिटिशर्स को सौंप दिए थे. यह हिस्से ब्रिटिशर्स को दिए जाने के बाद नेपाल का उस पर अधिकार खत्म हो गया था.