जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. कैलाश मानसरोवर जाने वाले तीर्थ यात्रियों की सुविधा के लिए भारत सरकार द्वारा पिथौरागढ़-धारचूला से लिपुलेख को जोड़ने के लिए बनवाई गई सड़क को लेकर नेपाल ने अपना विरोध जताते हुए इस सड़क निर्माण में अपनी ज़मीन के इस्तेमाल का आरोप जड़ दिया है. 80 किलोमीटर लम्बी इस सड़क का दो दिन पहले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने उद्घाटन किया था.
भारत ने हालांकि नेपाल को यह जवाब दे दिया है कि भारत ने यह सड़क अपनी ज़मीन पर ही बनाई है और इस ज़मीन को लेकर कहीं कोई विवाद नहीं है. नेपाल ने सड़क के उद्घाटन के बाद ही विरोध क्यों जताया सबसे बड़ा सवाल यही है क्योंकि इस सड़क का निर्माण 2008 में शुरू हुआ था और इसे बनने में पूरे 12 साल का वक्त लगा है.
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एक तरफ नेपाल ने अमरनाथ यात्रियों की सुविधा के लिए बनाई गई सड़क का मुद्दा उठाकर विवाद खड़ा करने की कोशिश की है वहीं चीन के सरकारी टीवी चैनल चाइना ग्लोबल टेलिविज़न नेटवर्क की आधिकारिक वेबसाईट पर माउंट एवरेस्ट को चीन का हिस्सा बता दिया है. चीन ने कहा है कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में है.
माउंट एवरेस्ट को अपना बताने के बाद चीन का ट्विटर पर काफी मखौल उड़ा. नेपाल ने भी इस मुद्दे पर चीन का विरोध किया है. नेपाल ने यह विरोध इसलिए किया क्योंकि 1909 में चीन और नेपाल के बीच सीमा विवाद को लेकर एक समझौता हुआ था जिसमें यह तय हुआ था कि माउंट एवरेस्ट दो हिस्सों में बंटेगा. इसका दक्षिणी भाग नेपाल का होगा और उत्तरी तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र का होगा. चीन ने पूरे माउंट एवरेस्ट को अपना बता दिया तो भारत और नेपाल ने इतना विरोध किया कि बैक ऑफ़ चाइना ट्रेंड करने लगा.
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भारत की जिस नवनिर्मित सड़क को लेकर नेपाल ने विरोध का स्वर मुखर किया है. उसका कारण भी चीन से ही जुड़ता है. दरअसल मई 2015 में भारत और चीन ने लिपुलेख से होते हुए एक व्यापार मार्ग बनाने को लेकर मंजूरी दी थी. भारत ने क्योंकि पिथौरागढ़-धारचूला से लिपुलेख को जोड़ने के लिए सड़क बना ली है तो नेपाल इस मुद्दे को अब चीन के सामने भी उठाना चाहता है. इधर भारत भी कैलाश मानसरोवर लिंक रोड के तहत धारचूला को तिब्बत से जोड़ने की तैयारी में है और इसके लिए वह चीन के सम्पर्क में है.
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नेपाल ने आरोप लगाया है कि लिंक रोड बनाने के लिए भारत ने उसकी 19 किलोमीटर ज़मीन पर कब्ज़ा कर लिया है. क्योंकि यह मामला भारत-नेपाल और चीन के बीच है इसलिए नेपाल इस मामले में चीन को भी शामिल करना चाहता है. इधर भारत ने साफ़ कर दिया है कि भारत ने यह सड़क पूरी तरह से अपनी ज़मीन पर बनाई है और वह पड़ोसी देशों के साथ हुई सीमा सम्बन्धी संधियों का पूरा सम्मान करता है. उधर नेपाल के विपक्ष ने भी सरकार से पूछा है कि भारत जब वहां पर सड़क का निर्माण कर रहा था तब नेपाल सरकार क्या कर रही थी.
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