जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. तमिलनाडू की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता का घर जयललिता मेमोरियल बनने के बजाय मुख्यमंत्री आवास और सह कार्यालय बन सकता है. यह सुझाव मद्रास हाईकोर्ट ने दिया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि सार्वजनिक पैसों से बनी सम्पत्ति को मेमोरियल के लिए इस्तेमाल ऐसी प्रथा की शुरुआत होगी जिसका कोई अंत नहीं होता. हालांकि कोर्ट ने इस घर के कुछ हिस्से को जयललिता मेमोरियल बनाने को सहमति दी है.
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा है कि तमिलनाडू सरकार को पूर्व मुख्यमंत्री जे.जयललिता के पोएस गार्डन स्थित आवास को जयललिता मेमोरियल में बदलने के बजाय इसे मुख्यमंत्री आवास और सह कार्यालय बना देना चाहिए. मेमोरियल बनाने से सरकारी खजाने पर भारी दबाव आएगा. हाईकोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह जयललिता के उत्तराधिकारियों का पक्ष भी सुनें. इसके बाद प्राइवेट प्रापर्टी क़ानून के मुताबिक़ इस सम्पत्ति का अधिग्रहण करे.
यह भी पढ़ें : प्रियंका का सवाल- क्या सरकार श्रमिकों के संवैधानिक अधिकार ख़त्म करना चाहती है?
यह भी पढ़ें : तो क्या एक बार फिर शरद पवार चौंकाएंगे?
यह भी पढ़ें : योगी सरकार के फैसलों पर क्यों शुरू हो जाता है विवाद ?
यह भी पढ़ें : राहुल का वित्तमंत्री को जवाब, कहा-अनुमति दें तो मैं बैग उठाकर ले जाऊ
मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस एन. किरुबाकरन और अब्दुल कुद्दूस की खंडपीठ ने इस मुद्दे पर 8 हफ्ते में राज्य सरकार से जवाब देने को कहा है. हाईकोर्ट ने दीपा जयकुमार और दीपक को जयललिता का कानूनी उत्तराधिकारी माना है. इन उत्तराधिकारियों का पक्ष सुनने के बाद राज्य सरकार को जयललिता की सम्पत्ति का मुआवजा भी देना चाहिए. मुआवजा देने के बाद सरकार इस सम्पत्ति का अधिग्रहण कर सकती है.