प्रमुख संवाददाता
लखनऊ. तब्लीगी जमात के सदस्य नसीम अहमद की हिरासत में दिल का दौरा पड़ने से जौनपुर के अस्पताल में मौत हो गई. 65 साल के नसीम अहमद को अप्रैल के पहले हफ्ते में पुलिस ने बांग्लादेश के लोगों को शरण देने और जानकारी छुपाने के इल्जाम में गिरफ्तार कर जेल भेजा था. नसीम अहमद दिल के मरीज़ थे. पिछले नौ दिन में उन्हें दो बार अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था.
दिल्ली के निज़ामुद्दीन मरकज़ में दुनिया के कई देशों से आये जमातियों के मामले ने जब तूल पकड़ा था तब दिल्ली से देश के विभिन्न हिस्सों में गए जमातियों की तलाश में पुलिस ने छापेमारी की थी. मरकज़ में हुए जमात के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पड़ोसी देश बांग्लादेश से आये 14 जमातियों समेत 16 लोगों को नसीम अहमद ने जौनपुर में ठहराया था. पुलिस जब देश भर में जमातियों को तलाश रही थी तब नसीम अहमद पर इल्जाम है कि उन्होंने पुलिस को यह जानकारी नहीं दी कि बांगलादेश से आये जमातियों को उन्होंने ठहराया हुआ है.
पुलिस ने नसीम अहमद को जानकारी छुपाने के इल्जाम का मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. गिरफ्तारी के वक्त पुलिस को नसीम अहमद के परिवार के लोगों ने यह जानकारी दी थी कि वह दिल के मरीज़ हैं लेकिन इसके बावजूद उन्हें जेल भेज दिया गया.
बताया जाता है कि जौनपुर पुलिस ने 31 मार्च को सरायख्वाजा थाना क्षेत्र स्थित लाल मस्जिद से पश्चिम बंगाल के मोहम्मद मुत्तलिब, झारखंड के यासीन अंसारी और बांग्लादेश के 14 जमातियों को महामारी रोग अधिनियम और फारनर्स एक्ट के तहत हिरासत में लिया था. मामले की जांच हुई तो पता चला कि इनके रहने का इंतजाम नसीम अहमद ने किया है. इसी के बाद उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया.
नसीम अहमद को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने उनकी कोरोना जांच करवाई जो निगेटिव आयी. इसके बाद उन्हें अस्थायी जेल में शिफ्ट कर दिया गया. इस जेल में उनकी दो बार तबियत बिगड़ी. उन्हें जौनपुर के जिला अस्पताल के अलावा बीएचयू के अस्पताल भी ले जाया गया. स्वास्थ्य में सुधार होने पर उन्हें फिर जेल भेज दिया गया.
30 अप्रैल को उनकी तबियत फिर बिगड़ी. उन्हें जिला अस्पताल में शिफ्ट किया गया. जहाँ आज दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई. पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है.