जुबिली न्यूज़ डेस्क
लाकडाउन ने मजदूरों को कुछ इस कदर फिक्रमंद कर दिया कि उनका धैर्य जवाब दे गया और वे निकाल पड़े अपने घर की ओर । उन्हे नहीं पता था कि ये सफ़र कैसा होगा और कितना लंबा होगा , मगर घर पहुँचने की आस ने साधनों और दूरियों की परवाह नहीं की ।
कहते हैं एक तस्वीर कई सौ खबरों पर भारी होती है । हमने ऐसी ही कुछ तस्वीरें इकट्ठी की जिन्होंने इस त्रासदी काल को हमेशा के लिए इतिहास में हमेशा दर्ज कर दिया है।
कोरोना महामारी की वजह से देश में लॉक डाउन है. सारा कामकाज रुक गया है. रोज़ कमाने और खाने वालों के सामने मुश्किलों के पहाड़ खड़े हो गए हैं. जब काम नहीं है तो पेट भरने के लिए जेब में दाम भी नहीं है. हालात मुश्किल भरे हैं तो परदेस छोड़कर लोग अपने घरों के लिए रवाना हो गए हैं.
घर हज़ारों किलोमीटर दूर है. घर पहुँचने के लिए जिसे कोई साधन नहीं मिला उसने अपने पाँव पर ही भरोसा किया. चल पड़ा अपने घर की तरफ. बीच सफ़र के नज़ारे दिल और दिमाग दोनों को हिलाने वाले हैं.
कहते हैं कि तस्वीरें कभी झूठ नहीं बोलतीं. जुबिली पोस्ट के पाठकों के हवाले वह तस्वीरें हैं जो सफर की दास्तान खुद बयान करती नज़र आ रही हैं.
जब बैल ने तोड़ दिया दम
आखिर कितना करें सफ़र
थक गया भाई
बहुत नींद आ रही है.
बस-बस अम्मा घर आने वाला है.
सो जा मेरा लाल सो जा.
कोई मुश्किल नहीं रोक पायेगी रास्ता
चलो अम्मा आ गई ट्रेन.
घर पहुँचने के लिए.
हमने ही रची है विकास की यह तस्वीर
सफ़र के निशान बाकी हैं.