प्रमुख संवाददाता
लखनऊ. यूपी के मेरठ जिले में एक लाश को मेडिकल स्टाफ का इंतज़ार 24 घंटे तक करना पड़ा, जबकि लाश और मेडिकल स्टाफ के बीच की दूरी सिर्फ चार किलोमीटर थी. मेडिकल स्टाफ के लिए यह सिर्फ एक रुटीन था जबकि लाश के लिए प्रोटोकाल का मामला था. लाश भी प्रोटोकाल से बंधी थी और उसके परिजन भी.
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मामला मेरठ के सूरजकुंड श्मशान घाट का है. यहाँ पर संभल निवासी भगवत शरण शर्मा की लाश लाई गई थी. उनकी मृत्यु कोरोना वायरस की वजह से हुई थी इसलिए प्रशासन ने तय किया कि अंतिम संस्कार मेरठ में ही होगा. परिवार के लोगों ने प्रशासन की इस बात को मान लिया.
भगवत शरण शर्मा का निधन रविवार की रात को हुआ था लेकिन परिजनों की लगातार भागदौड़ के बावजूद शव सोमवार की दोपहर उनके हवाले किया गया. वह भी तमाम शर्तों के साथ. परिवार के लोगों से कहा गया कि वह लाश के करीब नहीं जाएंगे. मेडिकल स्टाफ की बताई हर बात का पालन करेंगे. श्मशान पर एम्बूलेंस लाश को सीधे चिता तक ले जायेगी. अंतिम संस्कार मेडिकल स्टाफ की मौजूदगी में पूरे प्रोटोकाल के साथ किया जाएगा.
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परिवार के लोगों ने सारी शर्तों को मंज़ूर करते हुए दस्तखत किये और लाश को अपनी सुपुर्दगी में ले लिया. एम्बूलेंस लाश को लेकर सोमवार की दोपहर श्मशान पहुँच गई. अस्पताल से श्मशान सिर्फ चार किलोमीटर था इसलिए परिवार के लोगों को उम्मीद थी कि घंटे भर में मेडिकल स्टाफ पहुँच जाएगा. लिहाजा आनन-फानन में चिता तैयार कर दी गई.
घंटे पर घंटे बीतते गए. दोपहर से शाम हुई, फिर रात हुई, धीरे-धीरे सुबह का सूरज निकल आया लेकिन मेडिकल स्टाफ चार किलोमीटर की दूरी तय नहीं कर पाया. परिवार के लोगों ने तमाम लोगों को फोन किये. अधिकारियों की चिरौरियाँ कीं. कई-कई बार अस्पताल की दौड़ लगाई. सबके हाथ जोड़ते-जोड़ते आखिरकार 24 घंटे बाद आज मंगलवार को मेडिकल स्टाफ श्मशाम घाट पहुंचा. इसके बाद अंतिम संस्कार की विधियाँ शुरू हो पाईं.
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बताया जाता है कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के बड़े अफसरों के कहने के बाद भी मेडिकल स्टाफ को चार किलोमीटर की दूरी तय करने में 24 घंटे लग गए. 24 घंटे की भूख-प्यास के साथ आंसू बहाते परिजनों को प्रोटोकाल का मेरठ में ऐसा सबक मिला है जिसे वह सारी ज़िन्दगी नहीं भूल पायेंगे.
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