न्यूज डेस्क
पिछले कई वर्षों में जिस तरह से राम के नाम की पॉलिटिक्स हो रही है, उससे ये साफ जाहिर है कि राम अब भारत की राजनीति के अभिन्न अंग हो गए हैं। अक्सर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षाओं को पूरा करने के लिए भगवान राम का सहारा लिया है।
लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के सामने सारे हथकंडे अपनाने के बाद बीजेपी जय श्री राम कार्ड खेला, जिसमें उसे सफलता भी मिली। ममता के दुर्ग में सेंधमारी करते हुए बीजेपी ने यहां 18 सीटें जीती। पिछले पांच सालों में बीजेपी ने संघर्ष करते हुए अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत की है और अब इस जमीन को और मजबूत करने के लिए अयोध्या से पहले पश्चिम बंगाल में राम मंदिर का एलान कर दिया है।
अंतरराष्ट्रीय राम मंदिर ट्रस्ट ने हावड़ा में राम मंदिर बनाने की घोषणा की है। 15 सितंबर को हावड़ा में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राम मंदिर का शिलान्यास करेंगे।
गौरतलब है कि बंगाल में बीजेपी और टीएमसी आमने सामने हैं। दोनों ओर से आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी जोरों पर है। बीजेपी ने राम मंदिर का मुद्दा उठाया है।
बताते चले कि बीजेपी की हिंदुत्व की राजनीति का मुकाबला करते करते अगर तृणमूल भी नरम हिंदुत्व की राह पकड़ लेती है तो इसका घातक प्रभाव होगा। बीजेपी इस तरह की राजनीति में पूरे भारत की उस्ताद है, यह बात पहले ही साबित हो चुकी है। अगर टीएमसी अपनी योजना नही बदली तो उसे लोकसभा की तरह विधानसभा में भी नुकसान उठाना पड सकता है।