जुबिली स्पेशल डेस्क
कनाडा में लगातार खालिस्तान समर्थक अलगाववादी हिंदुओं और उनके मंदिर निशाना बनाया जा रहा है और उन पर हमला किया जा रहा है।
ताजा मामला बीते रविवार का है हिंदू मंदिर पर खालिस्तानी अलगाववादियों ने निशान बुलाते हुए हमला बोल दिया।
भारत सरकार ने भी इन हमलों की निंदा की थी।इस बीच कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने माना है कि देश में खालिस्तान समर्थक हैं।
प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि खालिस्तान समर्थक अलगाववादी कनाडा में सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. समाचार रिपोर्टों में कहा गया है कि ट्रूडो ने यह बयान पिछले हफ्ते ओटावा के पार्लियामेंट हिल में एक दिवाली कार्यक्रम में भारतीय प्रवासियों को संबोधित करते हुए दिया है।
उन्होंने कहा, “कनाडा में खालिस्तान के कई समर्थक हैं, लेकिन वे पूरे सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। देश में हिंसा या असहिष्णुता या धमकी के लिए कोई जगह नहीं है. हम ऐसे नहीं हैं। ”
इस दौरान उन्होंने कनाडा में मौजूद हिंदू समुदाय के लोगों के लिए कहा, “कनाडा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के समर्थक हैं, लेकिन वे सभी हिंदू कनाडाई लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
कनाडा में खालिस्तान समर्थक गतिविधियाँ पिछले कुछ दशकों से चर्चा का विषय रही हैं। खालिस्तान एक काल्पनिक पंजाबी हिंदू-बहुल राज्य है जिसे कुछ सिख कार्यकर्ता 1980 और 1990 के दशक में स्वतंत्रता की मांग के रूप में समर्थन करते थे। हालांकि, यह आंदोलन समय-समय पर गति पकड़ता रहा है, फिर भी कनाडा में खालिस्तान समर्थक संगठनों की सक्रियता निरंतर बनी हुई है।
कनाडा में सिख समुदाय की महत्वपूर्ण संख्या होने के कारण, खालिस्तान समर्थक समूहों का वहां प्रभाव भी देखा जा सकता है। कई सिख संगठन, जिनमें खालिस्तान समर्थक विचारधारा का पालन करने वाले भी हैं, खुले तौर पर खालिस्तान की बात करते हैं और इसके लिए जन जागरूकता बढ़ाने की कोशिश करते हैं।
इस स्थिति में, कनाडाई सरकार और वहां की पुलिस बल खालिस्तान समर्थक गतिविधियों पर निगरानी रखे हुए हैं, लेकिन इस मुद्दे पर कनाडा में राजनीतिक और सामाजिक मतभेद भी हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह आंदोलन कनाडा में सिख समुदाय की संस्कृति और पहचान को बचाने के लिए एक रास्ता हो सकता है, जबकि अन्य इसे अलगाववादी और हिंसक गतिविधियों के रूप में देखते हैं।
कनाडा में खालिस्तान की चर्चा और गतिविधियाँ कभी-कभी भारत-कनाडा संबंधों में भी तनाव का कारण बन जाती हैं, खासकर जब भारत सरकार खालिस्तान समर्थक कार्यकर्ताओं पर कड़ी कार्रवाई करती है।