न्यूज डेस्क
पाकिस्तान में एक व्यक्ति को फायदा पहुंचाने के लिए सैन्य अधिनियिम में संशोधन हुआ है। और तो और सदन में बिना चर्चा के ही यह विधेयक पारित हो गया।
दरअसल पाकिस्तान सेना प्रमुख के रूप में जनरल कमर बाजवा को तीन साल का विस्तार देने वाले विधेयक को पाक संसद से बिना किसी चर्चा के जल्दबाजी में पारित कराया गया है। यह जानकारी असंतुष्ट पाकिस्तानियों के एक समूह ने दी है।
पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार सेना, नौसेना और वायुसेना प्रमुखों और ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के प्रेसीडेंट की सेवानिृवत्ति की आयु 60 वर्ष से बढ़ाकर 64 वर्ष करने संबंधी विधेयकों को छोटे दलों के विरोध के बावजूद उच्च सदन अथवा सीनेट से पारित करवा लिया गया।
8 जनवरी को साउथ एशियन्स अगेंस्ट टेरेरिज्म ऐंड फॉर ह्यूमन राइट्स (साथ) फोरम के बैनर तले समूह ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जिस तरह से पाकिस्तान की सरकार और मुख्य विपक्षी दलों ने सैन्य अधिनियम में संशोधनों को जल्दबाजी में पारित करवाया वह चिंता विषय है।
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वहीं पूर्व पत्रकारों एवं राजनयिकों के समूह ‘साथ’ ने जारी एक वक्तव्य में कहा, ”इस चर्चा के बिना कि इस तरह के कानून की जरूरत है भी या नहीं, विधेयकों को पारित करवा लिया गया। इसमें पाकिस्तान में लोकतंत्र के भविष्य पर इस तरह के कदम से पड़ने वाले असर के बारे में भी विचार नहीं किया गया।”
पाकिस्तानी अखबार डॉन के अनुसार सीनेट के अध्यक्ष सादिक सांजरानी ने विधेयक पारित होते ही सत्र स्थगित कर दिया। सीनेट का सत्र महज 20 मिनट चला।
साउथ एशियन्स अगेंस्ट टेरेरिज्म ऐंड फॉर ह्यूमन राइट्स (साथ) ने अपने वक्तव्य में कहा है कि ” पाकिस्तान के इतिहास में दर्ज है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुखों ने अपनी शक्ति को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए पाकिस्तान में बार-बार लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित किया है।”
इसमें कहा गया है कि, ”सेना पहले तख्तापलट कर चुकी है और उसके प्रमुखों ने अपना कार्यकाल शक्ति के बल पर खुद बढ़ा लिया। एक उदाहरण ऐसा भी है जब पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने दवाब के कारण सेना प्रमुख का कार्यकाल बढ़ाया था। ‘साथ’ ने राजनीतिक वर्ग के अभूतपूर्ण आत्मसमर्पण की निंदा की।
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