जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना महामारी और तालाबंदी से भारत की अर्थव्यवस्था को तगड़ी चोट लगी है। इसकी वजह से जीडीपी में निगेटिव ग्रोथ की आशंका लगाई जा रही है तो वहीं शुक्रवार को भारतीय मुद्रा रुपया पिछले छह महीने में सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गया।
शुक्रवार को भारतीय रुपया प्रति डॉलर 73.28 के स्तर पर पहुंच गया जो पांच मार्च के बाद से इसकी सबसे बेहतर स्थिति है। गुरुवार को यह 73.83 पर ट्रेड कर रहा था।
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जानकारों के मुताबिक शेयर बाजारों में विदेशी मुद्रा की आमद और आरबीआई की ओर से डॉलर की खरीद न होने से यह छह महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। 21 दिसंबर 2018 के बाद रुपए में एक हफ्ते में सबसे ज़्यादा दो फीसदी की मजबूती आई है।
दरअसल भारतीय रिजर्व बैंक सरकारी बैंकों के जरिए लगातार डॉलर खरीद रहा था ताकि रुपए की कीमत न बढऩे पाए।
इसके अलावा शेयर बाजार में डॉलर की आवकी बढऩे और सरकारी बैंकोंमें स्थिति सुधरने के कारण रुपया मजबूत हुआ है। आरबीआई की कोशिश है कि विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत स्थिति में रहे।
हालांकि, इस हफ्ते इस प्रक्रिया में कमी देखी गई जिससे रुपये में मजबूती आना शुरू हो गई। शेयर बाजारों में डॉलर की आमद से भी इसमें मदद मिली।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक फॉरन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPIs) ने अगस्त महीने में अब तक 6.2 अरब डॉलर के शेयर खरीदे हैं।
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ट्रेडर्स का मानना है कि अमरीकी फेडरल रिजर्व की नई नीति से आगे भी डॉलर आने में मदद मिलेगी। शुक्रवार को बाजार बंद होने तक एक डॉलर के बदले 73.3850 रुपए देने पड़ रहे थे। यह एक दिन में 0.6प्रतिशत की वृद्धि थी।
जानकारों के मुताबिक, ” डॉलर/रुपए में गिरावट बहुत अप्रत्याशित था और इसके गिरने से कारोबारी सदमे में थे। इसे रोकने के लिए हर तरह के उपाय किए गए। शुरुआत में आरबीआई ने 74.50 पर रोकने की कोशिश की लेकिन स्थिति संभल नहीं पाई। तकनीकी रूप से 73 अभी मजबूत स्थिति है और 74 तक भी अच्छी स्थिति होगी।”
अप्रैल में शुरू हुए नए वित्त वर्ष से अब तक भारत के विदेश मुद्रा भंडार मे में 60 अरब डॉलर की वृद्धि हुई है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस वित्तीय वर्ष के अंत तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 567अरब डॉलर तक पहुंच जाएग और वित्त वर्ष 21-22के अंत तक 642अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा।
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