जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. पाकिस्तान पर लगातार मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगते रहे हैं. उस पर आतंकवाद को पोषित करने आरोप हैं. उस पर आतंकियों को पनाह देने के आरोप हैं लेकिन यूएन वाच ने कभी इस मुद्दे पर पाकिस्तान से कड़े लहजे में चेतावनी नहीं दी लेकिन इमरान खान के एक ट्वीट ने उन्हें संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संगठन (UNHRC) में बर्दाश्त के बाहर बना दिया.
दरअसल इसी सात नवम्बर को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्वीट कर फ़्रांस पर निशाना साधते हुए लिखा कि अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर ईशनिन्दा को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.
Your presence on the U.N. Human Rights Council is intolerable. https://t.co/rVhyS3qHVS
— UN Watch (@UNWatch) November 6, 2020
संयुक्त राष्ट्र समर्थित संस्था यूएन वाच ने इमरान के इस ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा कि आपकी संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संगठन में मौजूदगी बर्दाश्त के बाहर है.
ताज्जुब की बात यह है कि लगातार मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप झेल रहा पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संगठन का सदस्य बना हुआ है. यूएन वाच ने हालांकि पाकिस्तान को सदस्य बनाये जाने पर आपत्ति जताई थी लेकिन उसकी आपत्ति को दरकिनार कर दिया गया था.
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पाकिस्तान को ईशनिन्दा क़ानून ब्रिटिशर्स से मिला है. 1860 में ब्रिटिशर्स ने धर्म से जुड़े अपराधों के लिए ईशनिन्दा क़ानून बनाया था. पाकिस्तान ने वजूद में आने के बाद इस क़ानून को अपना लिया था. जनरल जियाउल हक़ के शासनकाल में इस क़ानून को लागू किया गया था. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ लगातार इस क़ानून का इस्तेमाल किया जाता रहा है.