न्यूज डेस्क
किसी भी अन्य देश की तरह ही नेपाल के सामने भी कोविड-19 एक चुनौती की तरह खड़ा है। इस चुनौती से निपटने और कोरोना संक्रमण के मामलों को बढ़ने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पूरे नेपाल में लॉकडाउन कर रखा है। यह लॉकडाउन कब खत्म होगा इसकी कोई तारीख तय नहीं है।
नेपाल में लॉकडाउन भारत में लॉकडाउन से एक दिन पहले ही घोषित किया गया था। अपने पड़ोसी भारत में लगातार बढ़ते मामलों के देखते हुए नेपाल और चौकसी बरत रहा है। नेपाल ने अपने सभी अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को भी सील कर दिया गया है। हवाइअड्डे भी बंद हैं।
23 अप्रैल की रात नेपाली स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक नेपाल में 48 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं। नेपाल के लिए राहत की बात ये है कि वहां अभी तक कोरोना वायरस से किसी की मौत नहीं हुई है और 10 लोग इलाज के बाद ठीक होकर अपने घर लौट चुके हैं।
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बीते दिनों भारत ने कोरोना महामारी के बीच नेपाल को 23 टन जरूरी दवाइयां भेजी हैं। इस मदद के लिए नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शुक्रिया कहा है। जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि भारत-नेपाल के बीच खास रिश्ता है और भारत कोविड-19 की लड़ाई में नेपाल के साथ खड़ा है।
भारत ने जो दवाइयां भेजी उनमें 3.2 लाख पैरासिटामोल और 2.5 लाख हाइड्रोक्लोरोक्वीन की डोज शामिल है।
नेपाल में कोरोना का जो सबसे पहला मामला सामने आया था, वो 81 साल की एक महिला का था। ये संक्रमित महिला ब्रिटेन से लौटी थीं। उनका 58 साल का बेटा भी कोरोना संक्रमित मिला था। हालांकि ये दोनों इलाज के बाद ठीक होकर 23 अप्रैल को अपने घर लौट गए।
फिलहाल कोरोना संक्रमण के सबसे ज़्यादा मामले पूर्वी नेपाल के उदयपुर जिले में सामने आए हैं। नेपाल स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक उदयपुर में 28 कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। इनमें कई भारतीय नागरिक हैं। इनमें से कई लोग मस्जिद में रह रहे थे।
पिछले सप्ताह उदयपुर जिले में 12 से ज़्यादा भारतीय नागरिक कोरोना पॉजिटिव पाये गये थे। इनके संपर्क में आए कुछ अन्य भारतीय और नेपाली लोग बाद में कोरोना से संक्रमित निकले। इससे पहले परसा जिले के बीरगंज में भी तीन भारतीय नागरिक कोरोना पॉजिटिव मिले थे। ये लोग भी मस्जिद में रह रहे थे और धार्मिक आयोजन में हिस्सा लेने के लिए नेपाल आए थे।
क्या है नेपाल की चुनौतियां
कोरोना से जंग लडऩा आसान नहीं है, खासकर उन देशों के लिए जहां स्वास्थ्य सेवाएं अच्छी स्थिति में नहीं है।
नेपाल के सामने वो लोग चुनौती बने हुए हैं जो भारत-नेपाल की सीमाओं से नेपाल में ऐसे ही घुस आए और वे लोग क्वारंटाइन में भी नहीं रहे है।
लॉकडाउन के बावजूद पिछले महीने नेपाल में कुछ ऐसे लोगों ने प्रवेश किया जो पहले से कोरोना से संक्रमित थे। उनमें से कई लोग ग्रामीण इलाकों में स्थित अपने घर चले गए थे। इसलिए उनकी ट्रैकिंग और ट्रेसिंग करना सरकार के लिए चुनौती बन गया है।
यदि ग्रामीण नेपाल में कोरोना वायरस पहुंचा तो वहां की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए ये एक बड़ी चुनौती होगी।
नेपाल में साढ़े 12 हजार से अधिक लोगों को क्वारंटाइन में रखा गया है। वहीं कोरोना के 89 संदिग्धों को आइसोलेशन में रखा गया है। नेपाल सरकार उन सभी लोगों के टेस्ट कर रही है, जो भारत और दूसरे देशों से लौटे हैं। साथ ही इन लोगों के संपर्क में आए लोगों की भी टेस्टिंग की जा रही है।
यहां अब तक 9 हजार से ज़्यादा पीसीआर टेस्ट किए गए हैं, जबकि 38 हजार से ज़्यादा रैपिड टेस्ट किए गए हैं।
नेपाल सरकार के अनुसार सभी संक्रमित लोगों में हल्के या ना के बराबर लक्षण मिलें। किसी में भी गंभीर लक्षण नहीं थे। इसने नेपाल सरकार की चिंता और चुनौती दोनों को ही बढ़ा दिया है।
कैसी है तैयारी
नेपाल की स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए 25 हब अस्पतालों को चिन्हित किया गया है।
नेपाल के विभिन्न प्रांतों के अस्पतालों में कोरोना मरीजों और संदिग्ध मरीजों को रखा जा रहा है। कुछ अस्थायी अस्पताल भी बनाए गए हैं। साथ ही देश भर में 15 लैब पीसीआर टेस्ट कर रही हैं। ओली सरकार के मुताबिक उनके पास पर्याप्त दवाइयां हैं।
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नेपाली मीडिया की माने तो नेपाल का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पहले से बेहतर हुआ है। नेपाल में कई अच्छे अस्पताल हैं, हालांकि वहां वेंटिलेटर्स सीमित संख्या में हैं। पिछले दिनों यहां डॉक्टरों के लिए सुरक्षा उपकरण यानी पीपीई की कमी की बात भी सामने आई है। सुरक्षा उपकरणों के लिए नेपाल, चीन से भी संपर्क कर रहा है।
नेपाल में पहले टेस्टिंग कम किए जाने को लेकर भी सवाल उठे थे। जिसके बाद सरकार ने सभी प्रांतों में टेस्ट की संख्या बढ़ाई है। अब सभी संदिग्ध मरीजों (जिनकी ट्रेवल हिस्ट्री है और जो उनके संपर्क में आए हैं) के टेस्ट किए जा रहे हैं।
जिस तरह अन्य देशों में संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं उस हिसाब से नेपाल में कोरोना के कामले कम हैं। इसकी वजह कई डॉक्टर, नेपालियों के मजबूत इम्यून सिस्टम को भी मान रहे हैं। डॉक्टरों का मानना है कि शायद इसलिए शायद पॉजिटिव मामलों में भी किसी को गंभीर लक्षण नहीं है। इसके अलावा ये भी कहा जा रहा है कि दूसरे देशों की तरह नेपाल में मेट्रो या कोई दूसरा बड़ा ट्रांसपोर्ट सिस्टम नहीं है, इसलिए वायरस इतने बड़े पैमाने पर अब तक नहीं फैला है।
कब खत्म होगा लॉकडाउन
नेपाल में लॉकडाउन को खत्म करने की तारीख निर्धारित नहीं हुई है। पीएम केपी शर्मा ओली ने का कहना है कि नेपाल में अगले आदेश तक लॉकडाउन जारी रहेगा। नेपाल अपने पड़ोसी मुल्क भारत पर लगातार नजरे बनाए हुए है। सीमित संसाधन में नेपाल अपने नागरिकों की हिफाजत करने में लगा हुआ है।
नेपाल के कई नागरिक ओमान, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, साइप्रस, बहरीन जैसे देशों में भी रहते हैं। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इन देशों के नेताओं से बात कर नेपाली नागरिकों का ध्यान रखने की अपील की है।
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