न्यूज डेस्क
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आतंकवाद के मुद्दे पर कई बार अपनी मंशा जता चुके हैं कि वह किसी कीमत पर आतंकी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेंगे। मोदी सरकार कई मौकों पर जोर देकर कहती आई है कि आतंकवाद पर उसकी नीति जीरो टॉलरेंस की है। इतना ही लोकसभा चुनाव में बीजेपी के घोषणा पत्र में भी इसका जिक्र था।
2019 का लोकसभा चुनाव बीजेपी ने राष्ट्रवाद के मुद्दे पर लड़ा और प्रचंड जीत हासिल किया। मोदी सत्ता में हैं तो उम्मीद की जा रही थी कि इस दिशा में काम करेगी। बुधवार को आंतक निरोधी (विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन (यूएपीए) विधेयक) 2019 बिल बुधवार को लोकसभा में पास हो गया।
इस मौके पर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, अब जब सरकार आतंकवाद से लडऩे के लिए हाथ मजबूत करना चाहती है न कि इन मामलों में किसी भी निर्दोष को फंसाना। जब भी आतंक का कोई मामला आता है तो उसके खिलाफ लड़ाई सरकार लड़ती है, उस समय यह नहीं देखा जाता है कि उस समय कौन सी पार्टी सत्ता में है। उनकी सरकार इस कानून को केवल और केवल आतंक को खत्म करने के लिए बना रही है।
इस बिल पर दो दिन तक बहस चली। द अनलॉफुल ऐक्टिविटीज (प्रिवेंशन) अमेंडमेंट बिल 2019 (UAPA) यानी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) विधेयक को 8 जुलाई को सदन में पेश किया गया था। हालांकि विपक्ष इस बिल से खुश नहीं है। आइये जानते हैं UAPA बिल में क्या है खास ।
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संगठन ही नहीं व्यक्तिभी घोषित किए जा सकेंगे आतंकी
संशोधित कानून के तहत अब संगठनों के साथ-साथ व्यक्तियों को भी आतंकी घोषित किया जा सकेगा। इस कानून में इसका प्रावधान क्यों करने की जरूरत पड़ी, इसे खुद गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में बताया।
गृह मंत्री ने आतंकी यासीन भटकल का उदाहरण देते हुए कहा कि एनआईए ने उसके संगठन इंडियन मुजाहिदीन को आतंकवादी संगठन घोषित किया था लेकिन भटकल को आतंकवादी घोषित करने के लिए कानून में कोई प्रावधान नहीं था। गृह मंत्री ने कहा कि इसी का फायदा उठाते हुए भटकल ने 12 आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया।
कैसे घोषित किए जा सकेंगे संगठन या व्यक्ति आतंकी
संशोधित कानून के तहत केंद्र सरकार ऐसे संगठनों या व्यक्तियों को आतंकी संगठन या आतंकी घोषित कर सकती है, जो आतंकी कृत्य को अंजाम दिए हों या उनमें शामिल हों, आतंकवाद के लिए तैयारी कर रहे हों, आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हों और आतंकवाद में किसी भी तरह से शामिल रहे हों।
इस बिल में आतंकवाद को स्पष्ट रूप से परिभाषित भी किया गया है।
आतंकी संगठनों और आतंकियों की संपत्तियां हो सकेंगी जब्त
इस संशोधित कानून के तहत आतंकवादियों और आतंकी संगठनों की संपत्तियां जब्त हो सकेंगी। इसके लिए जांच अधिकारी को संबंधित राज्य के डीजीपी की पूर्व अनुमति की जरूरत होगी। अगर मामले की जांच एनआईए का कोई अफसर कर रहा हो तो संबंधित संपत्ति को जब्त करने के लिए संबंधित राज्य के डीजीपी की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। इसके लिए बस एनआईए के महानिदेशक की मंजूरी काफी होगी।
गौरतलब है कि UAPA बिल को लोकसभा की मंजूरी मिल चुकी है। इससे पहले NIA संशोधन बिल को लोकसभा के साथ-साथ राज्यसभा की भी मंजूरी मिल चुकी है। उस बिल के तहत NIA को देश से बाहर दूसरे देशों में भी भारत के खिलाफ आतंकवाद से जुड़े मामलों की जांच का अधिकार मिल गया है।