न्यूज डेस्क
देश मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं पर पिछले साल 17 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि भीड़तंत्र की भयावह हरकतों को कानून पर हावी नहीं होने दिया जा सकता। ये सिर्फ कानून-व्यवस्था का सवाल नहीं है, बल्कि गोरक्षा के नाम पर भीड़ की हिंसा अपराध है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने गोरक्षा के नाम पर हिंसा और भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या के मामलों में दिशा-निर्देश भी जारी किया था और राज्यों को इसे लागू करने का निर्देश भी दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के बावजूद भी देश में मॉब लिंचिंग का मामला नहीं रूका है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। फिलहाल मध्य प्रदेश सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए गाय के नाम पर होने वाली हिंसा पर रोक लगाने के लिए गोवंश वध निषेध अधिनियम 2004 में संशोधन को मंजूरी दे दी है। अब देखना दिलचस्प होगा कि यह कानून कितना मध्य प्रदेश में कितना कारगर साबित होगा , क्योंकि देश में हर अपराध के लिए कठोर कानून है फिर भी अपराध रुकने का नाम नहीं ले रहा।
गो हिंसा निरोधक अधिनियम के तहत यदि कोई शख्स हिंसा के मामले में गिरफ्तार किया जाता है तो उसे छह महीने से लेकर तीन साल की सजा का प्रावधान है। इसके साथ ही उस पर 25,000 से 50,000 रुपये तक जुर्माना भी लगाया जाएगा। सीएम कमलनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
कमलनाथ सरकार इस विधेयक को आठ जुलाई से शुरु हो रहे राज्य के विधानसभा सत्र में पेश करेगी। इस अधिनियम को राज्य की पिछली भाजपा सरकार ने मंजूरी दी थी।
कमलनाथ सरकार ने यह कदम सिवनी जिले के डुंडासिवनी थाना क्षेत्र के तहत आने वाले काछीवाड़ा में 22 मई को कथित रूप से गोमांस रखने के आरोप में पांच लोगों ने एक मुस्लिम शख्स और महिला समेत तीन लोगों से मारपीट की थी। इस घटना के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है।
इससे पहले राज्य सरकार ने गायों को लाने और ले जाने संबंधी नियमों को आसान करने का फैसला किया था। यह फैसला इसलिए किया गया ताकि किसानों और व्यापारियों को गोरक्षकों के उत्पीड़न का सामना नहीं करना पड़े।
मध्य प्रदेश पशुपालन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि अगर इस तरह की हिंसा में भीड़ शामिल है तो सजा को बढ़ाकर कम से कम एक साल और अधिक से अदिक पांच साल किया जाएगा। इस तरह के अपराध बार-बार होने पर जेल की सजा दोगुनी की जाएगी। संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों को भी गोहत्या निषेध कानून के तहत दंडित किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश
1. भीड़तंत्र को कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
2. कानून का शासन कायम रहे, यह सुनिश्चित करना सरकार का कर्तव्य है।
3. कोई भी नागरिक कानून अपने हाथों में नहीं ले सकता है।
4. संसद इस मामले में कानून बनाए और सरकारों को संविधान के अनुसार काम करना चाहिए।
5. भीड़तंत्र के पीडि़तों को सरकार मुआवजा दे।