Saturday - 2 November 2024 - 1:19 PM

सीएम पद के लिए आदित्य के नाम पर सहमति की कितनी गुंजाइश

न्यूज डेस्क

महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस सरकार बनाने को तैयार है। लंबे जद्दोजहद के बाद आखिरकार तीनों दलों में सरकार बनाने को लेकर सहमति बन ही गई। मुख्यमंत्री शिवसेना का होगा यह भी तय हो गया है। अब मामला सीएम के चेहरे को लेकर है।

शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस आज सरकार बनाने के लिए राज्यपाल से मुलाकात करेंगे। तीनों दलों में सारी बातें तय हो गई है तो मुख्यमंंत्री कौन बनेगा इसको लेकर बहस शुरु हो गई है। हालांकि एनसीपी और कांग्रेस अपनी मंशा पहले ही जता चुके हैं। दोनों पार्टियां उद्धव को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहती हैं।

महाराष्ट्र में जैसे ही विधानसभा चुनाव का आगाज हुआ था शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद के लिए आदित्य ठाकरे का नाम सामने कर दिया था। शिवसेना लगातार कह रही थी कि अबकी बार शिवसेना का मुख्यमंत्री होगा और आदित्य ठाकरे मुख्यमंत्री होंगे। चुनाव परिणाम आने के बाद बीजेपी शिवसेना के मुख्यमंत्री पद देने के लिए तैयार नहीं हुई और परिणाम यह हुआ कि शिवसेना ने अपनी राह अलग कर लिया। शिवसेना मुख्यमंत्री पद के लेकर आडिग रही।

अब जब शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की मदद से सरकार बनाने जा रही है तो परिस्थितियां बदल गई हैं। शिवसेना द्वारा एनसीपी और कांग्रेस की कई शर्तों को मानने के बाद ही सरकार बनाने की स्थिति बनी है। एनसीपी और कांग्रेस की शर्तों में उद्धव ठाकरे का मुख्यमंत्री बनना भी शामिल है।

दरअसल कांग्रेस और एनसीपी उद्धव ठाकरे को ही महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती हैं।

सूत्रों के मुताबिक दोनों दलों ने शिवसेना को कह दिया है कि वे उद्धव के अलावा उनकी पार्टी से कोई भी दूसरा चेहरा गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं चाहते हैं। दोनों दलों की तरफ से इस भावना का इजहार तब हुआ है जब सियासी गलियारे में चर्चा थी कि मातोश्री में शिवसेना के दिग्गज नेता सुभाष देसाई या फिर अपने विधायक दल के नेता और ठाणे के क्षत्रप एकनाथ शिंदे को सीएम उम्मीदवार के रूप में आगे बढ़ाने पर विचार हो सकता है।

हालांकि शिवसेना सार्वजनिक तौर पर कह चुकी है कि उसके पास मुख्यमंत्री के एक से ज्यादा उम्मीदवार हैं। हालांकि, उसने यह भी कहा कि पार्टी की आम राय है कि ठाकरे ही सरकार की अगुआई करें। एक पार्टी विधायक के अनुसार पार्टी के अंदर भी (ठाकरे के सिवा) किसी दूसरे नेता को एकमत से स्वीकार नहीं किया जा सकेगा।

एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता के मुताबिक ‘कांग्रेस और एनसीपी नेताओं ने बातचीत के दौरान शिवसेना को कह दिया कि (सरकार की) स्थिरता के लिए उद्धव को सीएम चुना जाना चाहिए।’ गठबंधन के सहयोगी इस बात पर अड़ सकते हैं, भले फॉर्मूला ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री का हो या फिर पूरे पांच साल का।

ऐसी चर्चा है कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे खुद ही सीएम बनना नहीं चाहते हैं, लेकिन, हकीकत यह भी है कि पार्टी के दूसरे दिग्गज या फिर पहली बार विधायक चुने गए 29 वर्षीय आदित्य ठाकरे पर आम सहमति नहीं बन पाएगी। दरअसल उद्धव को राजनीति का बहुत अनुभव नहीं है। इसलिए गठबंधन के दोनों दलों को भी स्वीकार नहीं होंगे।

क्यों सबके पसंदीदा हैं उद्धव

मामला यह है कि कांग्रेस के दो पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण एवं पृथ्विराज चव्हाण और एनसीपी के दो पूर्व उप-मुख्यमंत्री अजीत पवार एवं छगन भुजबल इस बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। ऐसी संभावना है कि गठबंधन सरकार में इन सबको नए मुख्यमंत्री के साथ बेहद करीबी से काम करना होगा। इस कारण भी उद्धव सर्वोच्च पसंदीदा उम्मीदवार के तौर पर उभरे हैं। पार्टी लीडरशिप कांग्रेस-एनसीपी पर दबाव बना रही है कि वे 17 नवंबर तक शिवसेना के सीएम कैंडिडेट को समर्थन देने का ऐलान कर दें। उस दिन बालासाहेब ठाकरे की पुण्यतिथि है।

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