न्यूज डेस्क
25 अप्रैल से भारत लॉकडाउन है। ज्यादातर लोगों को उम्मीद थी कि 15 अप्रैल को लॉकडाउन खत्म होगा तो उनकी जिदंगी पटरी पर लौटेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। प्रधानमंत्री मोदी ने लॉकडाउन में 19 दिनों का विस्तार दे दिया जिसके बाद से लोगों की चिंता और बढ़ गई।
कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को कितना नुकसान पहुंचाया है इसका आंकलन आने वाले समय में होगा। दुनिया के ज्यादातर देशों ने कोरोना संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन का सहारा लिया है। यह लॉकडाउन अर्थव्यवस्था के नजरिये से बहुत महंगा साबित हो रहा है।
भारत में लॉकडाउन लागू हुए 25 दिन हो गए हैं। इस दौरान एक अरब से ज्यादा आबादी घरों में बंद है। काम-धाम सब ठप है। लॉकडाउन से देश को कितना नुकसान हो रहा है उसे इन आंकड़ों से समझा जा सकता है। नेशनल हॉकर्स फेडेरेशन के मुताबिक देशभर के चार करोड़ से अधिक रेड़ी-पटरी-ठेलेवालों में 95 फीसदी घर पर बैठे हैं, और आठ हजार करोड़ रूपये दैनिक का टर्नओवर देने वाले भारतीय अर्थव्यवस्था के इस हिस्से की पूंजी तेजी से बिखर रही है।
नेशनल हॉकर्स फेडेरेशन के अनुसार फल-सब्जी, चाट-गोलगप्पे, मसाले, अनाज से लेकर मोबाईल ऐक्सेसरीज बेचने वाले इस सेक्टर से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से- जैसे घरों में कारखाना चलाने वाले, सप्लायर्स, छोटे किसान और दूसरे लोग जुड़े हैं, जिनके सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया।
रिक्शे-ठेले चलाने वाले, घरों में काम करने और छोटे-छोटे धंधों में लगे हुए दूसरे लोगों को, जिनकी अब तक बात तक नहीं उठी है, अगर शामिल कर लें तो ये तादाद करोड़ों में है।
उद्योग और व्यवसाय से जुड़े संगठन फेडेरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री यानी फिक्की के एक अनुमान के अनुसार बंद के हर दिन भारतीय अर्थव्यवस्था को चालीस हजार करोड़ रूपयों का नुकसान हो रहा है। संगठन की अध्यक्ष संगीता रेड्डी के मुताबिक साल 2020 के अप्रैल-सितंबर के बीच कम से कम चार करोड़ नौकरियों के जाने का खतरा है।
लॉकडाउन की वजह से कितनी नौकरियां जाएंगी
दुनिया के जाने-माने बैंकों और रेटिंग एजेंसियों ने भारत की अर्थव्यस्था के बढऩे के अनुमान को काफी कम कर दिया है। 14 अप्रैल को पीएम मोदी, लॉकडाउन में जो 19 दिनों का विस्तार दिये थे उस पर ब्रिटिश ब्रोकरेज एजेंसी ने अर्थव्यवस्था को 234.4 अरब डॉलर यानी 17 लाख 87 हजार करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान जताया था। साथ में एजेंसी ने साल 2020 के पुर्वानुमान को ढ़ाई प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया।
वहीं फिच रेटिंग्स को लगता है कि इसमें दो फीसदी की बढोत्तरी की दर्ज हो सकती है, उस हिसाब से एडीबी यानि एशियन डेवलपमेंट बैंक चार फीसदी पर अधिक आशावान दिखता है। वर्ल्ड बैंक ने दक्षिणी एशिया के आर्थिक फोकस रिपोर्ट में इस बढ़ोतरी को डेढ़ से 2.8 प्रतिशत के बीच रखा है, जो उसके मुताबिक पिछले तीन दशक में सबसे कम है।
अर्थशास्त्र के शिक्षक डॉ. योगेश बंधु मानते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था मंदी की तरफ जायेगी। वह कहते हैं, 22 मार्च को देश में जनता कर्फ्यू का आह्वान हुआ। उस दिन पूरा भारत बंद था और उसके बाद कई राज्यों ने अपने स्तर पर इसे आगे बढ़ाया। 22 मार्च से देश में सारी गतिविधियां बंद पड़ी हैं और जब ये शुरु होगी तो इसे पटरी पर आते-आते काफी वक्त लगेगा। इसमें किसी बढ़ोतरी का तो सवाल ही पैदा नहीं होता है।
वह कहते हैं देश में बेरोजगारी की दर कहां पहुंच गई है इसको सीएमआई ने हाल के दिनों में अपनी रिपोर्ट में बताया था। बेरोजगारी दर 23 फीसदी पर पहुंच गई है। क्या आपको लगता है कि यह सब कुछ दिनों में ठीक हो जायेगा।
भारत 3 मई तक लॉकडाउन है। इसे खत्म किया जायेगा या कुछ पाबंदियों में ढ़ील दी जायेगी यह तो आने वाला वक्त बतायेगा। लेकिन कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाया है।