जुबिली न्यूज डेस्क
यूपी में चुनावी बिगुल बज चुका है। एक ओर राजनीतिक दल मतदाताओं को रिझाने में लगे हुए हैं तो दूसरी ओर नेताओं का पार्टी छोडऩे और ज्वाइन करने सिलसिला मचा हुआ है।
मौजूदा समय में सबसे ज्यादा भगदड़ जैसी स्थिति भाजपा में है। मंगलवार को योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस्तीफा दिया तो दूसरे दिन बुधवार को ओबीसी नेता दारा सिंह चौहान ने इस्तीफा दे दिया।
पिछले 48 घंटे में भाजपा के 6 नेताओं ने पार्टी छोडऩे का फैसला किया तो वहीं बीजेपी में दो विधायक शामिल भी हुए हैं। एक सपा और एक कांग्रेस विधायक ने अपनी पार्टी को अलविदा कह बीजेपी से नाता जोड़ लिया।
दिल्ली में बीजेपी की उच्च स्तरीय बैठक से पहले ही स्वामी प्रसाद मौर्या ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। मालूम हो कि मौर्या को पिछड़ी जातियों के नेता के रूप में जाना जाता है।
इस्तीफा देने के बाद अपने बयान में मौर्या ने कहा कि 14 जनवरी यानी शुक्रवार को वह बड़ा ऐलान करेंगे। अब तक उन्होंने कोई पार्टी जॉइन नहीं की है।
बुधवार को ही बीजेपी विधायक अवतार सिंह भड़ाना ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। वह सपा और आरएलडी गठबंधन में शामिल होने वाले हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्या के समर्थन में बीजेपी के तीन और विधायकों ने पार्टी छोड़ दी। मंगलवार को बृजेश प्रजापति, रौशन लाल वर्मा और भगवती सागर ने पार्टी छोडऩे का ऐलान कर दिया था। वहीं कांग्रेस के नरेश सैनी औऱ सपा के हरी ओम यादव भाजपा में शामिल हो गए।
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2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कानपुर देहात की बिल्हौर सीट पर इतिहास दर्ज करा दिया था। यहां से जाने माने नेता भगवी सागर ने बीजेपी को जीत दिलायी थी।
इस सीट पर बीजेपी को पहली बार जीत मिली थी। अब भगवती सागर ने पार्टी से ही इस्तीफा दे दिया है तो जाहिर सी बात है कि भाजपा को इतिहास दोहराने में मुश्किल हो सकती है।
बीजेपी को 30 फीसदी अति पिछड़ों की नाराजगी पड़ सकती है भारी
स्वामी प्रसाद, दारा सिंह, रोशलाल वर्मा, भगवती सागर और बृजेश प्रजापति अति पिछड़ा, दलित समुदाय से हैं। यूपी में जातीय समीकरण देखें तो 42 फीसदी पिछड़ों में 13.5 फीसदी कुर्मी और यादव हैं। 30 फीसदी लोग अति पिछड़ी जातियों से हैं।
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पिछले चुनाव के आंकड़े देखें तो अति पिछड़ी जातियों ने बीजेपी का पूरा सहयोग किया था, लेकिन इस बार अगर बीजेपी से ये लोग अलग हुए तो चुनाव में भारी नुकसान हो सकता है।