- लॉकडाउन 3 : आज से शुरु होगी शराब की बिक्री
- शराब की दुकाने खोलने का इंडस्ट्री और कई राज्यों का था भारी दबाव
- राज्यों की आय का बड़ा स्रोत होता है शराब पर एक्साइज टैक्स
न्यूज डेस्क
पिछले महीने जब प्रधानमंत्री ने तालाबंदी की घोषणा की थी तो सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा मीम्स, फनी जोक्स व वीडियो नशा करने वालों को लेकर शेयर हो रहा था कि कैसे वो लोग इसके बिना दिन काटेंगे। सोशल मीडिया पर दुकाने खोलने की मांग भी खूब हो रही थी। पिछले दिनों जब सरकार ने शराब की दुकाने खोलने की घोषणा की तो एक बार फिर सोशल मीडिया पर तरह-तरह के वीडियो शेयर होने लगे कि शराब खरीदने वाले लोग राज्यों की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने जा रहे हैं।
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पिछले दो दिनों सोशल मीडिया पर ऐसी वीडियो और संदेशों की भरमार है कि राज्यों की अर्थव्यवस्था शराब के भरोसे चलती है। तो आइए जानते हैं कि इन संदेशों की क्या है सच्चाई? आखिर राज्यों की शराब से कितनी कमाई होती है?
आज से लॉकडाउन 3 शुरु हो रहा है और इसी के साथ शराब कारोबार को खोल दिया गया है। इंडस्ट्री तो काफी समय से शराब की बिक्री खोलने के लिए भारी दबाव बना ही रही थी, हरियाणा जैसी कई राज्य सरकारें भी इसकी मांग कर रही थीं।
राजस्थान सरकार ने तो लॉकडाउन के बीच ही आबकारी शुल्क बढ़ा दिया था, जैसे उसे पहले से ही यह पुख्ता उम्मीद हो गई थी कि लॉकडाउन 3 में शराब की बिक्री खोली जाएगी।
दरअसल राज्यों की कमाई के कुछ मुख्य स्रोत है, राज्य जीएसटी, भू-राजस्व, पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले वैट या सेल्स टैक्स, शराब पर लगने वाला एक्साइज और गाडिय़ों आदि पर लगने वाले कई अन्य टैक्स।
शराब पर लगने वाला एक्साइज टैक्स यानी आबकारी शुल्क राज्यों के राजस्व में एक बड़ा योगदान करता है। शराब और पेट्रोल-डीजल को जीएसटी से इसलिए बाहर रखा गया है, क्योंकि राज्य इन पर भारी टैक्स लगाकर अपना राजस्व बढ़ाते हैं।
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हाल में राजस्थान सरकार ने शराब पर एक्साइज टैक्स 10 फीसदी बढ़ा दिया। राज्य में अब देश में निर्मित विदेशी शराब (ढ्ढरूस्नरु) पर टैक्स 35 से 45 फीसदी तक हो गया है। इसी तरह बीयर पर भी टैक्स बढ़ाकर 45 फीसदी कर दिया गया है। यानी 100 रुपये की बीयर में 45 रुपया तो ग्राहक सरकार को टैक्स ही दे देता है।
इसके अलावा राज्यों की कमाई का मुख्य स्रोत केंद्रीय जीएसटी से मिलने वाला हिस्सा है, पर केंद्र सरकार कई महीनों से राज्यों को जीएसटी का हिस्सा नहीं दे पा रही, जिसको लेकर राज्यों ने कई बार शिकायत भी की है।
राज्यों के राजस्व का बड़ा हिस्सा शराब और पेट्रोल-डीजल की बिक्री से आता है। लॉकडाउन की वजह से इन दोनों की बिक्री ठप थी। इस वजह से राज्यों की वित्तीय हालत खराब हो गई थी। हालत यह हो गई थी कि कई राज्यों को 1.5 से 2 फीसदी ज्यादा ब्याज पर कर्ज लेना पड़ा था।
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शराब से कितनी होती है कमाई
ज्यादातर राज्यों के कुल राजस्व का 15 से 30 फीसदी हिस्सा शराब से आता है। शराब की बिक्री से यूपी के कुल टैक्स राजस्व का करीब 20 फीसदी हिस्सा मिलता है। वहीं उत्तराखंड में भी शराब से मिलने वाला आबकारी शुल्क कुल राजस्व का करीब 20 फीसदी होता है। सभी राज्यों की बात की जाए तो पिछले वित्त वर्ष में उन्होंने कुल मिलाकर करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये की कमाई यानी टैक्स राजस्व शराब बिक्री से हासिल की थी।
वित्त वर्ष 2019-20 में शराब की बिक्री से महाराष्ट्र ने 24,000 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश ने 26,000 करोड़, तेलंगाना ने 21,500 करोड़, कर्नाटक ने 20,948 करोड़, पश्चिम बंगाल ने 11,874 करोड़ रुपये, राजस्थान ने 7,800 करोड़ रुपये और पंजाब ने 5,600 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल किया था।
दिल्ली ने इस दौरान करीब 5,500 करोड़ रुपये का आबकारी शुल्क हासिल किया था। राज्य के कुल राजस्व का यह करीब 14 फीसदी है। बिहार और गुजरात में शराब बिक्री पर प्रतिबंध लगा हुआ है।
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