जुबिली न्यूज डेस्क
महज कुछ साल पहले उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल इंसेफेलाइटिस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम व जापानी इंसेफेलाइटिस) की वजह से चर्चा में रहता था। हर साल सैकड़ों मासूमों की मौत इंसेफेलाइटिस की वजह से होती थी।
ऐसा नहीं है कि अब पूर्वांचल में इंसेफेलाइटिस का कहर नहीं है। इंसेफेलाइटिस के मामले अब भी आ रहे हैं लेकिन इंसेफेलाइटिस से होनी वाली मौत में कमी आयी है।
यूपी में इंसेफेलाइटिस के केस पिछले वर्ष बढ़े हैं। वर्ष 2021 में यूपी में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के 1657 केस
रिपोर्ट हुए जिसमें 58 की मौत हो गई।
जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) के 148 केस रिपोर्ट हुए जिसमें चार व्यक्तियों की मौत हो गई। वहीं साल 2020 में यूपी में एईएस के 1646 केस रिपोर्ट और 83 मृत्यु रिपोर्ट हुए थे। जेई के 100 केस और 9 मृत्यु रिपोर्ट हुए थे।
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नेशनल वेक्टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (एनवीबीडीसीपी) द्वारा अपनी वेबसाइट पर दिए गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 के
मुकाबले वर्ष 2021 में पूरे देश में इंसेफेलाइटिस के केस बढ़े हैं।
यूपी में भी 2020 के मुकाबले 2021 में इंसेफेलाइटिस के केस बढ़े हैं। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 में देश के 23 राज्यों में एईएस के 5498 केस रिपोर्ट हुए थे। एईएस से 251 लोगों की मौत हुई थी। जेई के 729 केस रिपोर्ट हुए थे जबकि 65 लोगों की मौत हुई थी।
पिछले वर्ष 2021 में देश में एईएस के 5726 और जेई 744 केस दर्ज किए गए। एईएस से 200 और जेई से 65 लोगों की मौत का
विवरण दर्ज किया गया है।
एनवीबीडीसीपी के अनुसार यूपी के बाद एईएस और जेई के सबसे अधिक केस पश्चिम बंगाल में दर्ज किए गए हैं। पश्चिम बंगाल में
एईएस के 1155 और जेई के 46 केस रिपोर्ट हुए हैं। यहां पर एईएस से 28 और जेई से छह लोगों की मौत हुई है।
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झारखंड में वर्ष 2021 में एईएस के 998 और जेई के 180 केस दर्ज किए गए हैं। यहां पर एईएस और जेई से दो-दो लोगों की मौत
हुई है। पश्चिम बंगाल और झारखंड के अलावा असोम, बिहार, कर्नाटक, ओडिसा, तमिलनाडू, त्रिपुरा में वर्ष 2020 की तुलना में 2021 में एईएस और जेई के केस कम हुए हैं।