भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि मामले का लगायेंगे पता
जुबिली न्यूज डेस्क
पिछले कुछ सालों में बैंकों के साथ धोखाधड़ी के मामले बढ़ गए हैं। इस पर लगातार बहस भी हो रही है कि इसे कैसे रोका जाए, बावजूद इसके मामलों में तेजी से इजाफा हो रही है।
बैंकों से धोखाधड़ी के मामले में हर साल इजाफा हो रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष की बात करें तो 2019-20 में बैंकों को धोखाधड़ी के मामलों के चलते 1.9 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी है। जबकि वित्त वर्ष 2018-19 में यह आंकड़ा 71,500 करोड़ रुपये था।
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इन आंकड़ों को देखे तो इससे पता चलता है कि बैंकिंग फ्रॉड में 159 पर्सेंट यानी ढाई गुना से ज्यादा का इजाफा हुआ है। धोखाधड़ी मामलों की संख्या को लेकर बात करें तो बीते साल यह आंकड़ा 7,000 केसों का था, जो अब बढ़कर करीब 8,700 हो गया है।
भारतीय रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट के अनुसार धोखाधड़ी में बैंकों की ओर से गंवाई गई कुल रकम में 98 फीसदी हिस्सा ग्राहकों की ओर से लिए गए लोन का है। इसके अलावा संख्या के लिहाज से बात करें तो 53 पर्सेंट मामले लोन धारकों के हैं, जिन्होंने बैंकों के साथ फ्रॉड को अंजाम दिया।
रिपोर्ट के अनुसार बीते कुछ सालों में इंटरनेट और कार्ड से जुड़े फ्रॉड केस भी तेजी से बढ़े हैं। धोखाधड़ी के ऐसे 31 फीसदी मामले सामने आए हैं, जिनमें बैंकों को 195 करोड़ रुपये की चपत लगी है। यही नहीं केसों की संख्या भी बढ़ी है। पिछले साल इंटरनेट और कार्ड फ्रॉड के 71 मामले सामने आए थे, जबकि इस साल 195 केस आए हैं।
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आरबीआई का वित्त वर्षीय जुलाई से जून तक चलता है, जबकि केंद्र सरकार अप्रैल से मार्च तक वित्तीय वर्ष मानती है।
आरबीआई ने कहा कि उसने यह आंकड़ा फ्रॉड की रिपोर्टिंग के आधार पर दिया है। धोखाधड़ी के मामले को कब अंजाम दिया गया है, उसके आधार पर यह डाटा नहीं दिया गया।
रिजर्व बैंक का कहना है कि वह धोखाधड़ी के बड़े मामलों का स्टडी करेगा और यह समझने का प्रयास करेगा कि आखिर इनके बारे में जानने में देरी क्यों हुई। इसके अलावा धोखाधड़ी के केसों को रोकने के लिए अलग-अलग डाटाबेस को इंटरलिंक भी किया जाएगा ताकि मॉनिटरिंग आसान हो सके।
केंद्रीय बैंक ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा कि कुछ बैंकों, एनबीएफसी, सहकारी बैंकों और डोमेन विशेषज्ञ की मदद से यह जानने की कोशिश होगी कि आखिर धोखाधड़ी के मामलों की रिपोर्टिंग में देरी क्यों हुई। इसकी वजहें जानने के बाद भविष्य के लिहाज से कदम उठाए जाएंगे ताकि धोखाधड़ी के केसों को रोका जा सके।