जुबिली न्यूज डेस्क
करीब 160 साल पुराने कानूनों में समय-समय पर बदलाव किया जाता रहा है, लेकिन इसके स्वरूप को नहीं बदला गया. अब भारत सरकार एक बड़ा बदलाव करने जा रही है. शुक्रवार को देश के गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (एविडेंस एक्ट) की जगह तीन नए क़ानूनों का मसौदा पेश किया.
तीन नए क़ानून
1-भारतीय न्याय संहिता 2023,
2-भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023
3-भारतीय साक्ष्य बिल 2023
माना जा रहा है कि जल्द ये तीनों बिल, संसदीय प्रक्रिया को पूरा कर क़ानून की शक्ल ले लेंगे. बिल पेश करते हुए अमित शाह ने कहा, 1860 से 2023 तक अंग्रेज़ों के बने हुए क़ानून के आधार पर इस देश की आपराधिक न्याय प्रणाली चलती रही. इसकी जगह भारतीय आत्मा के साथ ये तीन क़ानून स्थापित होंगे और हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली के अंदर बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा.भारतीय न्याय संहिता में महिलाओं से जुड़े अपराधों को रोकने के लिए खास कदम उठाए गए हैं. आइये जानते हैं कि आईपीसी की तुलना में भारतीय न्याय संहिता 2023 बिल, इन अपराधों को रोकने में कितनी ज़्यादा कारगर है.
पहचान छिपाकर शादी करने पर सज़ा
प्रस्तावित क़ानून- की धारा 69 के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति शादी, रोज़गार या प्रमोशन का झूठा वादा कर महिला से यौन संबंध बनाता है तो उसे सज़ा होगी.यह सज़ा दस साल तक बढ़ाई जा सकती है और इसके साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है. हालांकि इस धारा के अंतर्गत आने वाले मामलों को रेप की श्रेणी से बाहर रखा गया है.
आईपीसी- में शादी के झूठा वादा कर यौन संबंध बनाना, रोज़गार या प्रमोशन का झूठा वादा करना और पहचान छिपाकर शादी करने जैसी चीज़ों के लिए कोई साफ-साफ प्रावधान नहीं हैं.
इस तरह के मामलों को आईपीसी की धारा 90 के तहत कवर किया जाता है, जहां झूठ के आधार पर ली गई सहमति को ग़लत माना जाता है. इ्स तरह के मामलों में आईपीसी की धारा 375 के तहत आरोप लगाए जाते हैं. यह धारा रेप जैसे अपराध को परिभाषित करती है.
रेप के मामले
आईपीसी- रेप करने पर आईपीसी की धारा 376 के तहतकम से कम दस साल की सज़ा और जुर्माने का प्रावधान है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है,
लेकिन अगर यह अपराध कोई पुलिस अधिकारी, लोक सेवक, सशस्त्र बलों का सदस्य, महिला का रिश्तेदार, हॉस्पिटल का स्टाफ जैसे व्यक्ति करते हैं, या अपराध किसी ऐसे स्थान पर होता है जो महिलाओं की हिफाज़त से जुड़ा है तो सज़ा और कठोर हो जाती है. ऐसे में अगर दोषी व्यक्ति को आजीवन कारावास की सज़ा मिलती है तो उसे अपना बचा हुआ शेष जीवन जेल में ही बिताना होगा..
16 साल से कम उम्र की लड़की से रेप
आईपीसी- धारा 376 डीए के तहत कम से कम बीस साल की सज़ा और जुर्माने का प्रावधान है. सज़ा को आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है. यहां आजीवन कारावास का मतलब है कि दोषी व्यक्ति को बचा हुआ शेष जीवन जेल में बिताना होगा.
प्रस्तावित कानून– कोई बदलाव नहीं
12 साल से कम उम्र की लड़की से रेप
आईपीसी- धारा 376 एबी के तहत जुर्माने के साथ कम से कम बीस साल की सज़ा, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है. साथ ही मृत्युदंड का प्रावधान भी किया गया है.
प्रस्तावित कानून- धारा 65(2) में सज़ा का प्रावधान है और कोई बदलाव नहीं किया गया है.
मैरिटल रेप पर क्या है प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 375 में बलात्कार की परिभाषा बताई गई है और उसे अपराध बताया गया है, लेकिन इस धारा के अपवाद 2 पर आपत्ति जताते हुए कई याचिकाएं हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं.
आईपीसी- धारा 375 का अपवाद 2 कहता है कि अगर एक शादी में कोई पुरुष अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाता है, जिसकी उम्र 15 साल या उससे ऊपर है तो वो बलात्कार नहीं कहलाएगा, भले ही उसने वो संबंध पत्नी की सहमति के बगैर बनाए हों. हालांकि साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने महिला की आयु 18 साल कर दी थी.
प्रस्तावित कानून- कोई बदलाव नहीं, न ही मैरिटल रेप जैसे शब्द का ज़िक्र किया गया है.
आईपीसी में यौन उत्पीड़न के अपराधों को धारा 354 में परिभाषित किया गया है. साल 2013 में ‘आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम, 2013’ के बाद इस धारा में चार सब सेक्शन जोड़े गए थे, जिसमें अलग अलग अपराध के लिए अलग अलग सज़ा का प्रावधान है.
आईपीसी- धारा 354ए के तहत अगर कोई व्यक्ति किसी महिला के साथ सेक्सुअल नेचर का शारीरिक टच करता है, सेक्सुअल कलर से लैस व्यवहार करता है, सेक्सुअल फेवर मांगता है और मर्ज़ी के ख़िलाफ़ पोर्न दिखाता है तो उसके लिए तीन साल तक की सज़ा, जुर्माना या दोनों का प्रावधान है. अगर कोई व्यक्ति सेक्सुअल कलर वाले कमेंट करता है तो उसके लिए एक साल तक की सज़ा, जुर्माना या दोनों का प्रावधान है.
354 बी- अगर कोई आदमी किसी महिला के जबरन कपड़े उतारता है या फिर ऐसा करने की कोशिश करता है. ऐसा करने पर तीन से सात साल तक की सज़ा और जुर्माने का प्रावधान है.
354 सी- महिला के प्राइवेट एक्ट को देखना, उसकी तस्वीरें लेना और प्रसारित करना अपराध है, जिसके लिए एक से तीन साल की सज़ा का प्रावधान है. अपराध दोहराने पर जुर्माने के साथ सज़ा बढ़कर तीन से सात साल तक हो जाती है.
प्रस्तावित क़ानून- इन अपराधों को धारा 74 से 76 के तहत परिभाषित किया गया है और कोई बदलाव नहीं किया गया है.
पीछा करने पर कितनी सज़ा
अगर कोई पुरुष किसी महिला का पीछा करता है. महिला के मना करने पर बार-बार उससे बात करने की कोशिश करता है. महिला के इंटरनेट चलाने, ई-मेल या किसी दूसरे इलेक्ट्रॉनिक संचार पर नज़र रखता है, तो यह अपराध है.
आईपीसी- धारा 354डी के तहत पहली बार यह अपराध करने पर जुर्माने के साथ सज़ा को तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है. दूसरी बार अपराध करने पर जुर्माने के साथ सज़ा को पांच साल के लिए बढ़ाया जा सकता है.
प्रस्तावित कानून- धारा 77 के मुताबिक इन अपराधों को परिभाषित किया गया है, जिसमें आईपीसी की तरह ही सज़ा का प्रावधान है, यानी कोई बदलाव नहीं किया गया है.
छेड़छाड़ करना
अगर कोई व्यक्ति किसी महिला का अपमान करने के इरादे से कोई शब्द, कोई आवाज़, इशारा या कोई वस्तु प्रदर्शित करता है तो उसे अपराध माना गया है.
आईपीसी- धारा 509 के तहत दोषी व्यक्ति को जुर्माने के साथ सज़ा दी जाएगी, जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है.
प्रस्तावित कानून- कोई बदलाव नहीं.
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दहेज हत्या
शादी के सात सालों के अंदर अगर किसी महिला की मौत जलने, शारीरिक चोट लगने या संदिग्ध परिस्थितियों में होती है और यह पता चलता है कि महिला की मौत से पहले उसके पति, पति के रिश्तेदारों की तरफ से उत्पीड़न किया गया था, तो उसे ‘दहेज हत्या’ माना जाता है.
आईपीसी– धारा 304बी के तहत कम से कम सात साल कैद की सज़ा की बात है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है.
प्रस्तावित कानून- धारा 79 में दहेज हत्या को परिभाषित किया गया है और सज़ा में कोई बदलाव नहीं किया गया है.