Saturday - 26 October 2024 - 3:28 PM

आखिर ऐसे कब तक चलेगी सरकार

न्यूज डेस्क

जाहिर है जब विचार नहीं मिलेगा तो रार बढ़ेगी ही। ऐसा ही कुछ महाराष्ट्र  की सियासत में हो रहा है। भले ही शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एनसीपी और कांग्रेस को अपने पाले में लाकर सरकार बनाने में कामयाब हो गए, लेकिन यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर पायेगी इस पर थोड़ा संशय है। यह सवाल यूं ही नहीं उठ रहा।

सवाल उठने के कई कारण है। सबसे बड़ा कारण है नेताओं की बयानबाजी। महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से कई बार कांग्रेेस और शिवसेना आमने-सामने आ चुकी है। वीर सावरकर को लेकर शिवसेना कई बार कांग्रेस को इतिहास पढऩे की सलाह दे चुकी है।

शिवसेना प्रवक्ता व राज्यसभा सांसद संजय राउत ने तो पिछले दिनों कांग्रेस के खिलाफ मुहिम छेड़ रखा था। राहुल गांधी द्वारा वीर सावरकर पर दिए बयान पर उन्होंने राहुल को इतिहास पढऩे की सलाह दी थी। इसके बाद कांग्रेस सेवादल की पुस्तक में वीर सावरकर को लेकर की गई विवादित टिप्पणी पर भी राउत ने कांग्रेस को आड़े हाथों लिया था। निरूपम यहीं नहीं रूके। एक मीडिया संस्थान के कार्यक्रम में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लेकर कहा कि वह अंडरवल्र्ड डॉन करीम लाला से मिलती थी। उनके इस बयान पर जब कांग्रेस ने आपत्ति जतायी तो राउत ने अपना बयान वापस लिया और सफाई दी।

एक बार फिर कांग्रेस-शिवसेना-एनसीपी गठबंधन में खटास पैदा होने का कयास लगाया जा रहा है। दरअसल महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड ने विवादित बयान दिया है। आव्हाड ने 29 जनवरी को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश का गला घोंट दिया था और तब उनके खिलाफ कोई बोलने को तैयार नहीं था। फिर, अहमदाबाद से लेकर पटना तक छात्रों ने विरोध किया और जेपी आंदोलन ने उनकी हार का नेतृत्व शुरू किया।’

एनसीपी नेता के इस बयान पर अभी कांग्रेस ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन उम्मीद जताया जा रहा है कि कांग्रेस निश्चित ही इस बयान पर विरोध दर्ज करायेगी।

दरअसल जितेंद्र आव्हाड ने पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने के लिए इंदिरा गांधी का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी की तरह उन्होंने भी लोकतंत्र का घला घोंट दिया था मगर आखिर में उन्हें भी हार का मुंह देखना पड़ा।

उन्होंने मौजूदा सरकार और इंदिरा सरकार की तुलना करते हुए कहा, ‘छात्रों के आंदोलन ने इंदिरा गांधी को देश में आपातकाल लगाने के लिए प्रेरित किया था जो बाद में उनके खिलाफ भारत के एकजुट होने का कारण बना। इसके बाद साल 1977 के आम चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।’  आव्हाड ने यह टिप्पणी वर्तमान में देशभर के अलग-अलग हिस्सों में नागरिकता संशोधन कानून और एनसीआर के खिलाफ चल रहे विरोध-प्रदर्शनों के चलते की।

महाराष्ट्र  की सियासत में जो हो रहा है यह तो होना ही है। हर राजनीतिक दल का अपना वैचारिक सिद्धांत होता है। अपनी राजनीति चमकाने के लिए राजनीति दल विरोधी दलों की कमियों को गिनातेहैं। अब जबकि महाराष्ट्र में गठबंधन की सरकार है तो राजनीतिक दलों को इससे गुरेज करना चाहिए, लेकिन वह ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। इसका नतीजा है कि नेताओं की बयानबाजी का असर गठबंधन पर पड़ रहा है।

संजय राउत जब कांग्रेस के खिलाफ लगातार बोल रहे थे तो शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे के स्थिति संभालने के लिए आगे आना पड़ा था। अब जब एनसीपी के नेता ने इंदिरा के खिलाफ बयान दिया है तो देखना होगा एनसीपी इसे कैसे मैनेज करती है।

यह भी पढ़ें : …तो क्या ममता का दामन थामेंगे पीके

यह भी पढ़ें : “गठजोड़” पर मायावती से जुदा थी कांशीराम की राय

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com