जुबिली न्यूज डेस्क
वर्तमान में भारत में कोरोना की दूसरी लहर तांडव मचाये हुए हैं। हालत बहुत ही दयनीय हो गई है। कोरोना के बढ़ते मरीजों की वजह से स्वास्थ्य ढ़ांचा चरमरा गया है।
अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, वेंटीलेटर और जरूरी दवाइयों की कमी बनी हुई है। ऑक्सीजन को लेकर तो देश के कई राज्यों में हाहाकार मचा हुआ है। इस हालात में विशेषज्ञ कोरोना टीकाकरण अभियान को बढ़ाने की बात कह रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि जल्द से जल्द लोगों को टीका लगाया जाए तभी कोरोना संक्रमण को रोका जा सकेगा। वहीं यह भी सवाल लोगों के जेहन में आ रहा है कि वैक्सीन की डोज लेने के बाद आखिर कब तक के लिए कोरोना से लोगों को अभयदान मिल सकता है?
कोरोना वैक्सीन को लेकर यह अहम सवाल है, जिसका जवाब लोग जानना चाहते हैं, लेकिन इसका जवाब एक्सपर्ट्स के पास भी नहीं है।
दरअसल अभी कोरोना वैक्सीन की डोज लेने वाले लोगों पर इसका परीक्षण जारी है कि आखिर कब तक टीके का असर रहेगा। इसके अलावा अभी यह भी अभी तय होना है कि आखिर कुछ और डोज की जरूरत कब पड़ सकती है।
यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन में वैक्सीन रिसर्चर डेबोराह फुलर ने कहा कि इस बारे में वैक्सीन्स पर स्टडी करने के बाद ही पता चलेगा कि यह कितने दिनों तक कोरोना से बचाव में कारगर है।
उन्होंने कहा कि हमें वैक्सीन लेने वाले लोगों का परीक्षण करना होगा और यह देखना होगा कि उन पर कब तक वैक्सीन का असर रहता है।
डेबोराह फुलर ने कहा कि हमें यह देखना होगा कि वैक्सीन लेने के बाद उसका असर कब तक चलता है और फिर से कब लोग कोरोना संक्रमण के दायरे में आने की स्थिति में आते हैं।
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अब तक अमेरिकी वैक्सीन फाइजर को लेकर यह बात सामने आई है कि उसकी दो डोज का असर कम से कम 6 महीने तक रह सकता है। यही नहीं इस वैक्सीन की डोज लेने के बाद कुछ और वक्त तक के लिए कोरोना का डर खत्म हो सकता है।
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इसके अलावा मॉडर्ना वैक्सीन को लेकर भी यह कहा जा रहा है कि दोनों डोज लेने के 6 महीने बाद तक के लिए कोरोना का डर नहीं रहता।
वहीं जानकारों का कहना है कि मॉडर्ना वैक्सीन से तैयार होने वालीं एंटी-बॉडीज 6 महीने तक शरीर में रहती हैं। इसके अलावा एंटी-बॉडीज के अलावा हमारे इम्यून सिस्टम पर भी निर्भर करता है कि हम पर कोरोना का रिस्क कितना होगा।
जानकारों का कहना है कि बेहतर इम्यून सिस्टम वालों को दोबारा कोरोना होता भी है तो वह अन्य लोगों के मुकाबले जल्दी उबरने की स्थिति में होते हैं। ऐसे लोग भले ही कोरोना को पूरी तरह से हरा नहीं पाते हैं, लेकिन उसकी घातकता जरूर कम हो जाती है।
यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैक्सीन एक्सपर्ट का कहना है कि फिलहाल जो वैक्सीन उपलब्ध हैं, उनका असर कम से कम एक साल रह सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि खसरे के टीके की तरह इनका असर नहीं होगा कि पूरी जिंदगी के लिए ही खतरा टल सके। इसके अलावा कोरोना के नए वैरिएंट्स भी चिंता की वजह बने हुए हैं, जिसके चलते दो टीकों के बााद भी डोज की जरूरत पड़ सकती है।
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