ओम दत्त
कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगभग दो हफ्ते पहले भारत में,दुनियां का अपनी तरह का सबसे बड़ा राष्ट्रव्यापी लाक डाउन लगाया गया, जिसने व्यापक अराजकता और पीड़ा को जन्म दिया। इसने हमारे हेल्थ केयर सिस्टम,आर्थिक व्यवस्था और सामाजिक व्यवस्था के ढांचे को चरमरा दिया है।
लेकिन दूसरी ओर कोविड-19 नामक इस वैश्विक महामारी ने प्राकृतिक समीकरण को बदलते हुए अस्थाई रूप से हवा को इतना साफ कर दिया है कि दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में से 20 वां स्थान रखने वाले भारत में सूक्ष्म कण (PM2.5) का स्तर गिरने लगा।
जिसके कारण तीन दशकों में प्रदूषण अपने इस न्यूनतम स्तर तक गिर गया कि पंजाब के जालंधर के निवासियों ने हिमाचल प्रदेश में 120 मील की दूरी पर स्थित धौलाधार पर्वत श्रृंखला की चोटियों को अविश्वसनीय दृष्टि से देखा, जिसे लगभग 30 वर्षों तक पंजाब क्षितिज पर नहीं देखा गया था।
अधिकांश क्षेत्रों में प्रदूषण का गिरना इस बात की एक झलक दिखाता है कि इस वायरस के कारण लाक डाउन में जाने से हम कितनी जल्दी अपनी हवा को साफ कर सकते हैं।
एक राजनेता और लेखक डॉ शशि थरूर जो पर्यावरण के मुद्दों पर मुखर रहे हैं ने कहा कि ,उन्हें उम्मीद है कि यह एक वेक अप कॉल था ,थरूर ने कहा नीले आसमान की आनंदमई दृष्टि और स्वच्छ हवा में सांस लेने की खुशी हमें यह बताने के लिए काफी है कि हम बाकी समय क्या कर रहे हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार निगरानी किए गए 103 शहरों के लगभग 90% शहरों में लाक डाउन ने वायु गुणवत्ता सूचकांक को संतोषजनक स्तर पर सुधार दिया।
नासा के मार्शल स्पेस फ्लाइट सेंटर के “अर्थ साइंसेज आफ यूनिवर्सिटीज स्पेस रिसर्च एसोसियेशन “के वरिष्ठ वैज्ञानिक पवन गुप्ता का कहना है कि यह सच है कि प्रदूषण का स्तर कम हुआ है और लाकडाउन के कारण और कम होता रहेगा।
लाकडाउन ने कैसे कम किया प्रदूषण का स्तर
लाक डाउन में सार्वजनिक यातायात जैसे मोटर गाड़ी, रेल,जहाज आदि रूक गये,निर्माण कार्य और कारखाने बंद हो गए। देश के शहरों और औद्योगिक केंद्रों पर तालाबंदी के दिनों में गंदे भूरे रंग के प्रदूषण बेल्ट सिकुड़ गए ।कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड में अस्थाई रूप से गिरावट हो गई।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह लाकडाउन जीवाश्म ईंधन उद्योग (फोसिल फ्यूएल इंडस्ट्री)को मार रहे हैं। हवा और सड़क पर यातायाय काफी कम हो जाने से तेल की कीमत इस साल से लगभग दो तिहाई कम हो गई है।
यह जलवायु के लिए संभावित रूप से अच्छी खबर है क्योंकि तेल कार्बन उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत है ,जो ग्रह को गर्म कर रहा है और मौसम प्रणालियों(वेदर सिस्टम) को बाधित कर रहा है।
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह उत्सर्जन में लंबे समय तक गिरावट की शुरुआत और तेल के लिए अंत की शुरुआत को चिन्हित कर सकता है।
ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट के अध्यक्ष “राब जैकसन “ने कहा “उत्सर्जन में गिरावट वैश्विक और अभूतपूर्व है “। मानव प्रजाति लाकडाउन के दौरान अस्थाई रूप से घरों में है और इस वैक्यूम को वन्यजीवों ने भर दिया है।
कार्टूनिस्ट,लाकडाउन के तहत मनुष्यों पर शहर की खिड़कियों से घूमते हुए पर्यटक जानवरों के रोमांच का चित्रण कर रहे हैं । टिप्पणी यहां तक कि,मानो पाश्चात्य युग की बात कर रहे हैं। हम अपनी खुद की गिरावट पर हंस रहे हैं ,यह मानकर कि प्रकृति लाभार्थी होगी।
यह देखने से पहले कि हवा में प्रदूषण पिछले साल 2019की तुलना मे़ लाक डाउन की वजह से किस स्तर तक कम हुआ है,उससे पहले यह भी जरूरी है जानना कि कैसे पता करते हैं कि हवा कितनी प्रदूषित है।
कैसे मापते हैं हवा में प्रदूषण की मात्रा
वायु गुणवत्ता(एयर क्वालिटी) को वायु गुणवत्ता सूचकांक(इइन्डेक्स)या AQI के साथ मापा जाता है।AQI एक थर्मामीटर की तरह काम करता है जो जीरो से 500 डिग्री तक चलता है। हालांकि तापमान में परिवर्तन दिखाने के बजाय, AQI हवा में प्रदूषण की मात्रा में परिवर्तन दिखाने का एक तरीका है। वायु की गुणवत्ता इस बात का माप है कि हवा कितनी साफ या प्रदूषित है।
क्या है पैमाना जिससे जानें वायु की गुणवत्ता
- AQI वायु गुणवत्ता का स्तर
- AQI प्रदूषण स्तर टिप्पणी
- 0-50— अच्छी वायु गुणवत्ता, संतोष जनक।
- 51-100– संतोषजनक वायु गुणवत्ता
- 101-200-मध्यम,अस्वास्थ्यकर(अनहेल्दी)संवेदनशील रोगियों के लिये(आम जन के लिये नहीं)।
- 200-300–खराब,अस्वास्थ्यकर (अनहेल्दी),सभी के लिये।
- 301-400- बहुत खराब,अस्वास्थ्यकर,आपातकाली कालीन स्थितियों के लिये चेतावनी।
- 401-+ – खतरनाक, स्वास्थ्य के लिये चेतावनी।
लाक डाउन काल में हवा में कितना कम हुआ प्रदूषण
आइये ,अब देखें कि साल 2019के मार्च के महीने में देश के प्रमुख शहरों का प्रदूषण का स्तर कितना था और फिर लाकडाउन में कितना रहा।
AQI वायु गुणवत्ता का स्तर( एयरक्वालिटी इंडेक्स) मार्च,2019 में
- दिल्ली 302 ,मुंबई 153 ,कोलकाता 153, चेन्नई 64, बेंगलुरु 166, पुणे 136 ,हैदराबाद 136,लखनऊ 317 ,और जयपुर में 193 मापा गया।
- लाकडाउन में,प्रदूषण के स्तर में क्रमश:कमी आयी है ।11अप्रैल , 2020 को 15.00बजे AQI वायु गुणवत्ता का स्तर इस तरह था –
- दिल्ली 86 ,मुंबई 104 ,कोलकाता 70, चेन्नई 45, बेंगलुरु 64, पुणे 61 ,हैदराबाद 60 , लखनऊ 118 ,और जयपुर 89 मापा गया।
- आंकणों से साफ जाहिर है कि भारतीय पर्यावरण के वायु प्रदूषण का स्तर तेजी से कम हुआ है।इसका एक बहुत बडा़ कारण मानव गतिविधि का रूक जाना है।
अगले अंक में- जानें कोरोना वायरस प्रदूषित हवा में कैसे बन जाती है जान लेवा।
(लेखक जुबिली पोस्ट मीडिया वेंचर में एसोसिएट एडिटर के पद पर कार्यरत हैं)