न्यूज डेस्क
पिछले छह दिनों में सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा वीडियो पुलिस के वायरल हुए। इन वीडियो में पुलिस सड़क से लेकर मस्जिद, मंदिर दुकानों पर इकट्ठे लोगों की पिटाई करते नजर आई। इन वीडियो पर लोगों की प्रतिक्रिया भी खूब आई और पुलिस के इस कार्यवाही को अमानवीय करार दिया गया। यह सही है कि पुलिस ने कुछ मजबूर और निरीह लोगों पर भी लाठियां भाजी, जो गलत है, लेकिन इस लॉकडाउन के दौरान पुलिस का एक मानवीय चेहरा भी दिखा है। आज हम पुलिसवालों के उस चेहरे की बात करेंगे जो अमूमन दिखाई नहीं देती।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए 24 मार्च को 21 दिनों के लिए लॉकडाउन करने की घोषणा की। लोगों से उन्होंने अपील करते हुए कहा कि सभी के घरों के सामने लक्ष्मण रेखा खींच दी गई है जिसे किसी को पार नहीं करना है। साथ में उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग लक्ष्मण रेखा पार करेंगे उनके खिलाफ सरकार कठोर कदम भी उठा सकती है।
लॉकडाउन की घोषणा के बाद 25 मार्च के देश में एक अलग ही माहौल था। जो मामले की गंभीरता को समझ रहे थे वह तो अपने परिवार के साथ घर में बंद हो गए लेकिन कुछ लोग निरर्थक ही सड़कों पर माहौल का जायजा लेने निकले। पुलिस इन लोगों को घरों में बंद करने के लिए लाठियां भाजने लगी और इसमें मजबूर और निरीह लोग भी पिटे। वे लोग भी पुलिस के निशाने पर आए जो मजबूरी में घर से बाहर निकले थे। इस पर खूब हो-हल्ला मचा, लेकिन इस लॉकडाउन के दौरान पुलिस का एक अलग चेहरा देखने को मिल रहा है।
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लॉकडाउन की वजह से जो लोग मुसीबत में है पुलिस उनकी तत्परता से मदद कर रही है। जिदंगी बचाने के लिए दवा, भूख मिटाने के लिए खाना और जिदंगी देने के लिए अपना खून देने से भी पुलिस को गुरेज नहीं है। बाकी राज्यों का तो नहीं पता लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस ऐसा ही कर रही है।
शायद कुछ लोगों को पुलिस के इस रूप पर यकीन न हो लेकिन यह सच है। जिस सोशल मीडिया पर पुलिस द्वारा लोगों की पिटाई की वीडियो आई थी, उसी सोशल मीडिया पर पुलिस के अच्छे काम के भी वीडियो आ रहे हैं। इन वीडियो को देखकर एक बारगी यकीन नहीं हो रहा है कि यह वहीं पुलिस है जो छोटे-छोटे काम के लिए थानों का चक्कर लगवाती है। एक एफआईआर दर्ज कराने के लिए कितनी सौंदेबाजी करती है। फिलहाल पुलिस सख्ती के साथ-साथ लोगों की मदद भी कर रही है।
राजधानी लखनऊ से लेकर रायबरेली, प्रयागराज, गोरखपुर, बुलंदशहर, रामपुर , सिद्धार्थनगर सहित कई जिलों में पुलिस का मानवीय चेहरा दिख रहा है। लॉकडाउन की वजह से सबसे ज्यादा तकलीफ में गरीब मजदूर आ गए हैं। इसके अलावा दूसरे राज्यों से यूपी के मजदूर आ रहे हैं। ये सभी भूखे-प्यासे है। पुलिस को इसका बखूबी एहसास है। इसीलिए पुलिस अपने थानों में इनके लिए खाना बनवाकर उन तक पहुंचा रही है।
रामपुर पुलिस लोगों में सब्जी और राशन बांट रही है तो प्रयागराज पुलिस खाना बनाकर गरीबों तक खाना पहुंचा रही है। ऐसा ही कुछ रायबरेली महिला थाने में ही गरीबों के लिए भोजन की व्यवस्था कर रही है। हो रहा है। इसके अलावा जिन बुजुर्गों की दवा खत्म हो गई है या कोई कहीं फंस गया है तो उसकी मदद के लिए यूपी पुलिस पहुंच रही है। ऐसे बहुत सारे मामले सामने आ चुके हैं। फिलहाल तमन्ना अली से बेहतर पुलिस के बारे में कोई नहीं बता पायेगा।
बरेली की तमन्ना अली से पूछिए यूपी पुलिस के बारे में। वह बतायेंगी कि उनके लिए यूपी पुलिस कैसे देवदूत बन गई। दरअसल
तमन्ना 9 महीने की गर्भवती थीं और उनके पति काम के सिलसिले में नोएडा में थे। लॉकडाउन की वजह से उनके पति बरेली आ नहीं सकते थे। तमन्ना को पता था कि उन्हें कभी भी प्रसव पीड़ा हो सकती है। परेशान होकर उन्होंने वीडियो जारी कर मदद मांगी। उनका वीडियो देखने के बाद बरेली के एसएसपी शैलेष पांडे ने उनसे फोन पर बात की और मदद का आश्वासन दिया। शैलेष ने नोएडा के अडिशनल डीसीपी रणविजय सिंह से मदद मांगी। रणविजय ने तमन्ना के पति को गाड़ी से बरेली भिजवाया। पति के पहुंचने के कुछ घंटे बाद ही तमन्ना को बेटा हुआ। तमन्ना ने अपने बेटे का नाम अडिशनल डीसीपी रणविजय के नाम पर रखा है। तमन्ना ने पुलिसवालों को वर्दी में भगवान बताया है।