न्यूज डेस्क
ईरान की अत्यंत प्रशिक्षित कुद्स फोर्स के प्रमुख सुलेमानी का काफिला शुक्रवार को बगदाद एयरपोर्ट की ओर बढ़ रहा था और इसी दौरान अमेरिका ने हवाई हमला कर दिया। इस हमले में ईरान के सबसे ताकतवर जनरल कासिम सुलेमानी के साथ-साथ ईरान समर्थित पॉप्युलर मोबलाइजेशन फोर्स के डेप्युटी कमांडर अबू मेहदी अल मुहांदिस के भी मारे गए। 62 वर्षीय सुलेमानी को मध्य एशिया में ईरान के छद्म युद्धों के निर्माता के रूप में भी देखा जाता था। उनकी हत्या से मध्य एशिया में तनाव के नाटकीय ढंग से बढ़ जाने की आशंका है।
सुलेमानी की मौत के बाद अमेरिका ने ऐलान किया कि उन्हें मारने का आदेश अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने दिया था। अब सवाल उठता है कि आखिर ट्रंप ने सुलेमानी को क्यों मरवाया? दरअसल अमेरिका ने कासिम को ऐसे वक्त में मारा है जब कुछ दिनों पहले ही बगदाद स्थित अमेरिका के दूतावास पर हुए हमले में ईरान के होने की बात सामने आ रही थी।
दूतावास पर हुए हमले के बाद अमेरिका रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने कहा था कि खेल अब बदल चुका है। उन्होंने कहा था कि ईरान के समर्थन वाले सशस्त्र बलों का अमेरिकी मिलिट्री फोर्सेज की ओर से भी करार जवाब दिया जाएगा।
अमेरिका के कट्टर दुश्मनों में शुमार थे सुलेमान
दरअसल अमेरिका के बड़े दुश्मनों में ईरान रिवॉलूशनरी गार्ड्स की ही विदेशों में काम करने वाली यूनिट कुद्स फोर्स का जिम्मा संभालने वाले कासिम को शुमार किया जाता था। अमेरिका के कट्टर प्रतिद्वंद्वी ईरान के लिए वह कितने अहम थे, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता था कि पश्चिम एशिया में किसी भी मिशन को वही अंजाम देते थे। सुलेमानी को दुश्मनों को कुचलने के लिए जाना जाता है।
अमेरिका के लिए सिरदर्द थे कासिम सुलेमानी
कासिम सुलेमानी की खासतौर पर इराक में अहम भूमिका थी। ईरान की राजधानी बगदाद को इस्लामिक स्टेट के आतंक से बचाने के लिए सुलेमानी के नेतृत्व में ही ईरान समर्थक फोर्स का गठन हुआ था। इसका नाम पॉप्युलर मोबिलाइजेशन फोर्स था। सुलेमानी अमेरिका के कितने पुराने दुश्मन थे, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जब 1980 के दशक में ईरान और इराक के बीच खूनी जंग हुआ था तो इसमें सुलेमानी की भूमिका अहम भूमिका थी। इस युद्ध में अमेरिका ने इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन का साथ दिया था।
सुलेमानी ने बनाया ईरान समर्थक मिलिशिया
कासिम सुलेमानी का मारा जाना ईरान के लिए बड़ा झटका है। सुलेमानी ने इराक और सीरिया में इस्लामिक स्टेट जैसे खूंखार आतंकी संगठन के मुकाबले कुर्द लड़ाकों और शिया मिलिशिया को एक जुट करने का काम किया था। इतना ही नहीं इराक में ईरान के समर्थन से तैयार पॉप्युलर मोबिलाइजेशन फोर्स को कासिम ने ही तैयार किया था।
ऐसा भी माना जाता है कि सुलेमानी ने हथियार बंद संगठन हिजबुल्लाह, फिलिस्तीन में सक्रिय आतंकी संगठन हमास को समर्थन दिया था। सीरिया में बशर अल-असद सरकार को भी कासिम सुलेमानी का समर्थन प्राप्त था।
गरीब परिवार से थे सुलेमानी
कासिम सुलेमानी का बचपन बहुत ही अभाव में गुजरा था। ईरान के सुदूर दक्षिणपूर्व इलाके के एक गरीब परिवार से कासिम का ताल्लुक था। कुद्स गार्ड का चीफ बनने का सुलेमानी का सफर रोचक है। 1979 में वह इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड में शामिल हुए थे। इस गार्ड का गठन देश की सुरक्षा और विचारधारा को कड़ाई से लागू करने के लिए किया गया था।
जब 1980 और 1988 में पड़ोसी इराक के साथ युद्ध हुआ था तो उस दौरान रिवॉल्यूशनरी गार्ड के पास राजनीतिक और आर्थिक शक्तिभी आई। दरसअल इराक में हुए खूनी संघर्ष ने कासिम सुलेमानी को आगे बढऩे में काफी मदद पहुंचाई। उम्र के 20वें साल में ही सुलेमानी ने दुश्मनों के खिलाफ कई मिशन को अंजाम दिया। 1990 के दशक के आखिरी सालों में उन्हें कुद्स गार्ड का चीफ बना दिया गया। कुद्स गार्ड के ऊपर लेबनान में हिजबुल्लाह को बढ़ावा देने का आरोप लगा।
लाल अंगूठी से हुई सुलेमानी की मौत की पुष्टि
इराकी पत्रकार नाबिल ने एक ट्वीट कर कासिम सुलेमानी की एक पुरानी तस्वीर और मौत के बाद की फोटो साझा की है। इन तस्वीरों में सुलेमानी की हाथ की एक अंगुली में लाल रंग के नग वाली अंगूठी दिख रही है। इसी से उनकी मौत की पुष्टि हुई है। दरअसल कासिम हमेशा अपनी एक अंगुली में लाल रंग के नग वाली अंगूठी पहनते थे।
Is it the same ring or similar? Asking for expert opinion #Iraq , this is Qassim Sulaimani the Iranian leader of Quds force #Baghdad pic.twitter.com/Xe4viCWKXY
— Steven nabil (@thestevennabil) January 3, 2020
ट्रंप ने देश का झंडा किया ट्वीट
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप फ्लोरिडा में अपने घर पर छुट्टियां मना रहे हैं लेकिन गुरुवार आधी रात (भारतीय समयानुसार शुक्रवार सुबह 8 बजे ) एक ट्वीट किया। इसमें उन्होंने एक शब्द नहीं लिखा है, बस अमेरिका के झंडे को पोस्ट किया है। दरअसल ट्रंप के इस ट्वीट की क्रोनोलॉजी इराक के बगदाद में अमेरिकी सेना के उस एयर स्ट्राइक से जुड़ी थी, जिसमें उसने ईरान के सबसे ताकतवर जनरल कासिम सुलेमानी को मार डाला। इस हमले के कुछ घंटे बाद ही किया गया ट्रंप का यह ट्वीट विजयी जश्न और ईरान के लिए संदेश के तौर पर देखा जा रहा है।
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